भव्य है महल
इस महल को इस महल की बिक्री का आयोजन कर रहे बाउशैम्प एस्टेट के प्रबंध निदेशक जेरेमी गी (Baushamp Estate Managing Director Jeremy Gee) के मुताबिक ये महल बहुत ही भव्य है। क्राउन प्रिंस के इस पूर्व आलीशान महल की छत बहुंच ऊंची हैं, इसके अंदर रहने के लिए विशाल जगह है और पीछे 52 फुट का एक बगीचा भी है।
जेरेमी के मुताबिक साल 1871 की जनगणना के मुताबिक यह महल ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम पर दर्ज है। जहां एक बटलर और दो नौकर, अंग्रेजी भाषा सिखाने के लिए एक गर्वनेस और एक माली नियुक्त थे।
लेकिन फिर साल 2010 में इस महल का नवीकरण कराया गया। 5,613 वर्ग फुट आकार के इतालवी शैली के विला में दो औपचारिक Welcome room , एक Family Room, एक Family kitchen और एक Breakfast room, पांच bedrooms, एक Gym और दो Staff bedroom हैं।
कैसे मिला प्रिंस विक्टर को महल?
महाराजा रणजीत सिंह के छोटे बेटे दलीप सिंह (Dalip singh) थे। दलीप सिंह सिख इतिहास के अंतिम राजा थे। इनका जन्म 6 सितंबर 1838 को पाकिस्तान (Pakistan) , लाहौर में हुआ था। उनके जन्म के कुछ समय बाद ही पिता महाराजा रणजीत सिंह की मौत हो गई। 5 साल की उम्र में उन्हें राजा की गद्दी पर बैठा दिया गया, लेकिन महाराजा रणजीत सिंह की मौत के बाद पंजाब काफी कमजोर पड़ गया था और अंग्रेजों ने मौका देखकर पंजाब पर हमला कर दिया।
इसके बाद अंग्रेजों ने उन्हें 1854 में इंग्लैंड भेज दिया। यहां उनकी मुलाकात क्वीन विक्टोरिया से मिलाया गया। क्वीन विक्टोरिया (Queen victoria) को दलीप सिंह बेहद पसंद आए. वह उन्हें अपने बेटे की तरह प्यार करती थीं और उन्हें अपने साथ रखने लगीं।
दलीप सिंह का रंग अंग्रेजों से थोड़ा अलग था, इसलिए क्वीन इन्हें प्यार से ‘द ब्लैक प्रिंस’ बुलाया करती थीं। इन्ही के बेटे थे प्रिंस विक्टर (Prince victor) । प्रिंस विक्टर ने नौवें अर्ल ऑफ कोवेंट्री की बेटी लेडी एनी कोवेंट्री के साथ शादी कर ली थी। इसके बाद ब्रिटिश अधिकारियों ने नवविवाहित जोड़े को दक्षिण-पश्चिम केनसिंगटन के लिटिल बॉल्टन इलाके में उनके ससुराल के नए घर के रूप में इसी आलीशान महल को पट्टे पर दे दिया।