इसलिए भयानक हो सकता था ये मंजर
सुबह 7:30 बजे के आसपास अंधेरी स्टेशन ( andheri station ) के पास गोखले रोड ओवरब्रिज का स्लैब गिरा। ये वहीं ओवरब्रिज है जिस पर अमूमन अच्छी खासी लोगों की भीड़ रहती है। ये पुल खचाखच भरा रहता है। कभी कुछ स्कूल ( School ) के बच्चे, कई ऑफिस जाने वाले लोग, कुछ डिब्बा सर्विस वाले, कुछ महिलाओं ( women ) समेत अन्य लोगों का आना-जाना इस पुल पर हमेशा लगा रहता है। लेकिन 3 जुलाई की सुबह यहां लोगों की भीड़ नहीं थी क्योंकि समय सुबह 7:30 बजे का था। अगर ये हादसा 2 घंटे बाद होता तो इसके कारण कई लोगों की जानें खतरें में पड़ सकती थी।
क्यों इतना व्यस्त रहता है ये पुल
गोखले रोड ओवरब्रिज ( over bridge ) के दूसरी तरफ दो स्कूल हैं और पास में ही रेलवे स्टेशन है। ऐसे में स्कूल के बच्चों से लेकर रेलवे स्टेशन ( railway station ) जाने के लिए सभी लोग इस ब्रिज का इस्तेमाल करता है। ऐसे में जिस वक्त ये हादसा हुआ उस वक्त स्कूल के बच्चे वहां होते तो ये हादसा कितना भयानक रूप ले सकता था। खैर ये हादसा इतना बड़ा रूप नहीं ले पाया, लेकिन एक सवाल अब भी वैसा ही बना हुआ है कि क्या इतने हादसों के बाद मुंबई ने कुछ सीख ली है? क्या पुलों को दुरुस्त किया गया है?