नई दिल्ली। हैदराबाद रेप केस (Hyderabad Rape Case) में आरोपियों को भले ही एनकाउंटर के जरिए मार गिराया गया हो। मगर देश में अभी कई दरिंदे हैवानियत भरी घटना को अंजाम देने के बावजूद खुलेआम घूम रहे हैं। हैदराबाद एनकाउंटर को लेकर कुछ लोग सवाल भी उठा रहे हैं। मगर देश की लचर कानून व्यवस्था को देख मुजरिमों (Accused) को फांसी (Hanged Till Death) के कटघरे तक पहुंचाना इतना आसान नहीं है। तभी तो आखिरी बार साल 2004 में रेप मामले में फांसी दी गई थी। इसके बाद से देश में हुए दुष्कर्म (Rape Case News)के मामलों में अभी भी कई केस लंबित है।
इंसाफ की राह बरसों से देखने के मामले में दिल्ली का निर्भया कांड सबसे पहले जहन में आता है। जहां निर्भया के माता-पिता पिछले सात साल से अदालत के चक्कर काट रहे हैं। निर्भया के साथ दरिंदगी दिसंबर 2012 में हुई थी। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखी थी। मगर दोषी ने दया याचिका लगा दी, हालांकि दिल्ली सरकार और गृह मंत्रालय ने इसे खारिज कर दिया। अब राष्ट्रपति के दरबार से भी इसे खारिज किए जाने की मांग जारी है। मगर इन सबके बीच दरिंदे अभी तक खुली हवा में सांस ले रहे हैं।
इसी में एक मामला उन्नाव का भी शामिल हो गया। जिसमें पिछले साल दिसंबर में पीड़िता के साथ गैंगरेप किया गया। मामले की सुनवाई के लिए केस दाखिल किया गया। इसी की डेट के लिए कोर्ट जाने के दौरान आरोपियों ने पीड़िता के साथ मारपीट की। इसके बाद उसे जिंदा जला दिया। पिछले एक साल से जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही पीड़िता ने आखिरकार दम तोड़ दिया। मगर अभी भी अपराधियों को कोई सजा नहीं हुई है। वर्ष 2017 में अलग-अलग मामलों में 109 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई थी। जिनमें से 43 मामले यानी 39 फीसदी मामले दुष्कर्म से जुड़े हुए थे। इसके बावजूद किसी को फांसी नहीं हुई। दुष्कर्म के मामले में आखिरी फांसी वर्ष 2004 में हुई थी। इसमें धनंजय चटर्जी को दोषी पाया गया था। उसने 14 साल की बच्ची से दरिंदगी कर उसकी हत्या कर दी थी।
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