क्या है वो किस्सा
बात 80 के दशक की है। जब आर डी बर्मन ( R D Burman ) को नाकामयाबी मिल रही थी। इन्हीं नाकामयाबियों के चलते उन्हें फिल्में नहीं मिल पा रही थी। लेकिन कहते हैं न वक्त तो एक न एक बार सबका बदलता है। बर्मन का भी बदला। उन्हें 90 के दशक की शुरुआत में विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म ‘1942 अ लव स्टोरी’ में संगीत देने का मौका मिला। फिर क्या था उन्होंने इस फिल्म ( film ) के गीतों को संगीत दिया और लोगों ने उनके गानों को इतना प्यार दिया कि इस फिल्म के सभी गाने सुपरहिट साबित हुए। ये आर डी बर्मन के लिए बड़ी कामयाबी थी, लेकिन अफसोस वो इस कामयाबी को देखने के लिए जिंदा नहीं थे। अपनी आखिरी सफलता को देखने से पहले ही 55 साल की आयु में 4 जनवरी 1994 को उनका निधन हो गया था।
क्या कहते हैं जावेद अख्तर
आर डी बर्मन की आखिरी सफलता के बारे में जावेद अख्तर ( Javed Akhtar ) कहते हैं। वो एक ऐसा शख्स था जिसने अपने आपको संगीत का बादशाह साबित किया, लेकिन फिर उससे वो ताज छिन लिया गया। लेकिन साल 1942 में अपना शानदार संगीत देकर उसने ये साबित कर दिया कि संगीत का शहंशाह तो वही है। लेकिन अफसोस इस बात का है कि बादशाह की जान तख्त पर दोबारा बैठने से पहले ही निकल गई। बर्मन ने अपनी पढ़ाई पश्चिम बंगाल ( West Bengal ) में ही पूरी की थी। वहीं जब वो 9 साल के थे तो उन्होंने अपना पहला गाना कंपोज किया था। अब अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि वो कितने बड़े म्यूजिक कंपोजर थे।