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सरदार पटेल ने चीन की चाल को लेकर की थी सटीक भविष्यवाणी, लेकिन नेहरू ने की उपेक्षा और मिली देश को हार

7 नवंबर 1950 को सरदार बल्लभ भाई पटेल ने जवाहर लाल नेहरू को लिखा था खत
इस खत के कुछ महीने बाद ही सरदार का हो गया था निधन

Oct 31, 2020 / 12:07 pm

Pratibha Tripathi

Sardar Patel nehru china policy

Sardar Patel nehru china policy

नई दिल्ली। आज देश भर में लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती मनाई जा रही है। लौहपुरुष की याद में आज का दिन राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। सरदार बल्लभभाई पटेल देश के ऐसे महानायक थे जिन्होनें बिना स्वार्थ के देश के लिए अपना पूरा जीवन न्यौछावर कर दिया। देश की एकता को बनाए रखने के लिए लोगों के बीच उन्होंने एकता भाइचारे का संदेश देकर सभी को मिलाकर रखा। लेकिन इस राजनीति के बीच सभी के काम करने का तरीका अलग होने के कारण देश को एक बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ा था। और वो था बल्लभभाई पटेल के साथ देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू के साथ काम करने की तारीका। जिसके चलते दूसरे देश ने हमारे पीठ पीछे छुरा भौक कर हमारे साथ विश्वासघात कर डाला। दरअसल सरदार पटेल राजनीति के ऐसे योद्धा थे कि वो दूसरे देश के साथ दोस्ती और दुश्मनीं की चाल को अच्छे से भांप जाते थे। ऐसा ही कुछ हुआ था भारत और चीन की दोस्ती के बीच। जिसे केवल बल्लभभाई पटेल ने ही भांप लिया था और इस बात के उन्होंने जवाहर लाल नेहरू को भी अगाह कराया था। लेकिन उस समय जवाहर लाल नेहरू ने ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ का नारा केर सभी को हैरान कर दिया।

1950 में जवाहर लाल नेहरू को पटेल ने लिखा था खत

1947 को हमारा देश आजाद हुआ। एक ओर जहां इस देश की गद्दी को संभालने के लिए जवाहर लाल नेहरू का नाम सामने आया तो वहीं दूसरी 1 अक्टूबर, 1949 को माओत्से तुंग के नेतृत्व चीनी लोक गणराज्य की स्थापना की। आजादी के बाद दोनों देशों में मित्रता भाइचारे वाले संबंध बने। यह वो समय था जब चीन दुनिया में अलग-थलग पड़ा हुआ था, तब भारत ही ऐसा देश था जो चीन के साथ खड़ा था। इतनी है नही भारत ने चीन के साथ ऐसी दोस्ती निभाई कि जब जापान ने किसी वार्ता में भारत को तो बुलाया लेकिन चीन को आमंत्रित नहीं किया। तब भारत ने भी जापान की इस वर्ता में हिस्सा लेने से मना कर दिया। और जवाहर लाल नेहरू की इसी गलती की वजह से भारत संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता नही बन पाया। और अपनी जगह ये स्थान चीन को दे दिया।

लेकिन सरदार पटेल चीन की इस चाल को भांप गए थे। और साल 1950 में ही सरदार पटेल ने नेहरू को एक पत्र लिखकर चीन से सावधान रहने के लिए कहा था। अपनी मौत के एक महीने पहले ही सरदार वल्लभ भाई पटेल ने चीन के खतरे को लेकर नेहरू को आगाह करते हुए एक चिट्ठी में लिखा था कि भले ही हम चीन को अपना दोस्त मान रहे है लेकिन कम्युनिस्ट चीन इस दोस्ती से अपना स्वार्थ देख रहा है। हमें ध्यान रखना चाहिए कि तिब्बत के गायब होने के बाद अब चीन हमारे दरवाजे तक पहुंच गया है। लेकिन पंडित नेहरू ने उकी किसी भी सलाह को अहमियत नहीं दी। और जिसका नतीजा यह हुआ कि एक दिन अचानक बिना किसी को अगाह किए चीन ने भारत पर हमला बोल दिया जो हमारे लिए एक बड़ी हार साबित हुई।

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