महिला ने करवाया टेस्ट
जानकारी के मुताबिक, महिला रामूतयी के तीन बेटियां थीं। वह फिर से गर्भवती थी और उसके पेट में सात माह का गर्भ था। उसने अवैध रूप से एक निजी अस्पताल में परीक्षण करवाया था, जिसमें गर्भ में एक और बच्ची के होने का पता चला।
डाॅक्टर ने अबाॅर्शन के लिए किया इनकार तो नर्स को बुलाया घर
इसके बाद महिला के परिवारवालों ने अबॉर्शन कराने का फैसला ले लिया और एक अस्पताल में गुपचुप तरीके से संपर्क किया। हालांकि, सात माह के गर्भ को देखते हुए डॉक्टरों ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। पुलिस के मुताबिक, डॉक्टरों के मना करने पर महिला ने अपने घर पर ही एक नर्स को बुलाया और अबॉर्शन की कोशिश की। इसी दौरान उसकी मौत हो गई।
पुलिस को मिली सूचना महिला की मौत को घरवाले छिपाना चाहते थे और चोरी—छिपे उसका अंतिम संस्कार करने की भी तैयारी में थे, लेकिन पुलिस को इसकी सूचना मिल गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस के मुताबिक, घटना के बाद से नर्स फरार है। मामले की जांच की जा रही है।
भ्रूण परीक्षण करना या कराना है अपराध बता दें, गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम, 1994 के तहत गर्भाधारण पूर्व या बाद ***** चयन और जन्म से पहले कन्या भ्रूण हत्या के लिए परीक्षण करना अपराध है। भ्रूण परीक्षण के लिए सहयोग देना व विज्ञापन करना कानूनी अपराध है। इसके तहत 3 से 5 साल तक की जेल व 10 हजार से 1 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। वहीं, धारा 314 के तहत गर्भपात करने के मकसद से किये गए कार्यों से अगर महिला की मौत हो जाती है तो दस साल की कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।