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Pradosh Vrat January 2021: आज है साल 2021 का पहला प्रदोष व्रत,ऐसे करें भगवान शंकर और माता पार्वती को प्रसन्न

Pradosh Vrat : जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, व्रत कथा और इसका महत्व…

Jan 10, 2021 / 09:26 am

दीपेश तिवारी

Today First Pradosh Vrat of January in 2021

Today First Pradosh Vrat of January in 2021

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है, साल 2021 का पहला प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2021) 10 जनवरी 2021 दिन रविवार को रखा जाएगा. प्रदोष व्रत भगवान शिव के लिए रखा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार होता है, पौराणिक मान्यता के अनुसार हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) मनाया जाता है। प्रदोष व्रत वैसे तो माह में दो बार आता है। सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष धार्मिक महत्व है।

वर्ष 2021 का पहला प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2021) 10 जनवरी रविवार को रखा जाएगा। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूरा विधि.विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है। पौराणिक मान्यता है कि प्रदोष काल में ही भगवान शिव कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं। साथ ही यह भी धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव के सभी भक्तों को सभी कष्टों और दुखों से मुक्ति मिल जाती है। प्रदोष व्रत रखने और भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से भक्त के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.

प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त : Pradosh Muhurat 2021

– पौष माह कृष्ण त्रयोदशी व्रत शुरू 10 जनवरी 2021 दिन रविवार की शाम 4 बजकर 52 मिनट पर

– व्रत का पारण 11 जनवरी 2021 दिन सोमवार दोपहर 02 बजकर 32 मिनट पर

प्रदोष व्रत पूजा विधि : Puja Vidhi of pradosh
– प्रदोष व्रत करने के लिए सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करें.

– इसके बाद भगवान शिव को जल चढ़ाकर भगवान शिव का मंत्र जपें.

– प्रदोष काल में भगवान शिव को शमी, बेल पत्र, कनेर, चावल, धूप, दीप, फल, दान और सुपारी आदि का चढ़ावा लगाएं.

– इसके बाद शिव मंत्र का जाप करें.

भगवान शिव के मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः।

प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का दिन होता हैण् इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती हैण् इस दिन शिव पुराण और भगवान शिव के मंत्रों का जाप किया जाता है. मान्यता है कि प्रदोष का व्रत सबसे पहले चंद्रदेव ने किया था, माना जाता है कि श्राप के कारण चंद्रदेव को क्षय रोग हो गया था. पौराणिक मान्यताओं के अनुसारए प्रदोष व्रत रखने से भक्त पर हमेशा भगवान शिव की कृपा बनी रहती है, इसके अलावा व्रती के दुख और दरिद्रता दूर होती है.

माना जाता है कि शाप के कारण चंद्रदेव को क्षय रोग हो गया था। इससे मुक्ति पाने के लिए चंद्रदेव ने हर माह में आने वाली त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव के लिए प्रदोष का व्रत रखना शुरू किया। भगवान शिव और पार्वती की असीम अनुकम्पा से चंद्रदेव का क्षय रोग समाप्त हो गया।

ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति हर महीने प्रदोष का व्रत रखता है उस पर भगवान शिव और पार्वती की असीम कृपा बनी रहती है और उसे दुखों से मुक्ति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि अगर आपको संतान प्राप्ति की इच्छा है तो आप शनिवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत रखेए फल अवश्य ही मिलता है। लंबी आयु की कामना के लिए रविवार को पड़ने वाला व्रत फलदायी होता है।

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