खास बात यही नहीं है कि यह स्कार्फ अब नीलम हो रहा है। अपने सफर में देरी होने पर क्लाउडिया का स्कार्फ बुनने का तरीका निराला था। जिस दिन उन्हें 5 मिनट की देरी होती थी उस दिन वे स्लेटी रंग के ऊन का इस्तेमाल करती थीं। जिस दिन उन्हें आधे घंटे की देरी होती थी वे गुलाबी रंग से स्कार्फ बुनती थीं और जिस दिन उन्हें उससे भी ज्यादा देर होती थी वे लाल रंग के ऊन का इस्तेमाल करती थीं। क्लाउडिया का कहना है कि जिस दिन ट्रेन लेट नहीं होती थी उस दिन वे सफेद रंग का इस्तेमाल करती थीं। इस तरह क्लाउडिया ने हो रही असुविधा का विरोध किया। उनके इस अनोखे स्कार्फ को ‘रेल डिले स्कार्फ’ नाम दिया गया। क्लाउडिया की बेटी सारा एक पत्रकार हैं उन्होंने एक दिन अपनी मां के द्वारा बनाए इस स्कार्फ की तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की जिसके बाद कई लोगों ने उसे लाइक और शेयर किया। सारा ने इसे बेचने का मन बनाया और उससे बने पैसों से अब वे रेलवे स्टेशन पर प्रतीक्षा करने वालों की मदद में इस्तेमाल करने का विचार कर रही हैं।