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अब अल्ट्रासाउंड से पता चलेगा हार्ट-अटैक

अब नई टेक्नोलॉजी से हार्ट-अटैक का जल्दी पता चल सकता है।

Jan 16, 2021 / 04:18 pm

सुनील शर्मा

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एक ताजा अध्ययन में कहा गया है कि हृदयाघात रोकने के लिए ऑपरेशन केवल कुछ स्थितियों में ही फायदेमंद होता है, ऐसे में अल्ट्रासाउंड अनावश्यक ऑपरेशन को रोकने में उपयोगी साबित हो सकता है। स्वीडन की ऊमेआ यूनिवर्सिटी के अध्ययनकर्ता फिसनिक जाशरी के अनुसार, ‘अल्ट्रासाउंड की मदद से हम उन मरीजों का पता लगा सकते हैं, जिन्हें हृदयाघात का खतरा सर्वाधिक है। ऐसे में जहां जरूरत नहीं होगी वहां ऑपरेशन नहीं किया जाएगा।’
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वैज्ञानिकों के अनुसार आधे से ज्यादा हृदयाघात एथेरोस्कलेरॉसिस के कारण होते हैं। इसमें धमनियां सख्त हो जाती हैं। यह एक सूजन पैदा करने वाली बीमारी है जो मस्तिष्क, हृदय और शरीर के अन्य अंगों में ऑक्सीजन युक्त रक्त के संचालन को प्रभावित करती है। इस अवस्था में मस्तिष्क सहित अन्य अंगों में रक्त की आपूर्ति बाधित होती है। गर्दन की धमनियों में एथेरोस्कलेरॉसिस हृदयाघात का सबसे बड़ा कारण है।
इसकी सबसे खतरनाक अवस्था कैरोटिड स्टेनोसिस है, जो बुजुर्गों के साथ मोटापा, उच्च रक्तचाप व मधुमेह ग्रस्त लोगों में काफी देखी जाती है। एथेरोस्कलेरॉसिस रोग पर नियंत्रण कॉलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाइयों के अलावा ऑपरेशन से किया जाता है। यह अल्ट्रासाउंड विधि एथेरोस्कलेरॉसिस रोग की प्रकृति, प्लेक की अधिकता का आकलन करने में मददगार होने के साथ ही रोगियों के लिए रेडिएशन फ्री, सस्ती और बेहतर है।
जाशरी ने बताया, ‘हम जानते हैं कि कैरोटिड स्टेनोसिस में ऑपरेशन कुछ ही लोगों के लिए फायदेमंद होता है, बाकी साधारण रोगी मेडिकल थैरेपी से ही ठीक हो सकते हैं। ऐसे मरीजों के इलाज में अल्ट्रासाउंड महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।’

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