एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस भीषण आग में अब्दुल इमारत की 7वीं मंजिल पर फंसे हुए थे। वे और दर्जनों लोग 7वीं और 8वीं मंजिल पर सफाई का काम कर रहे थे। आग लगने पर बाकी सभी भागने में सफल रहे थे लेकिन लपटों से बचते-बचते अब्दुल एक कोने में पहुंच गए जहां से वह निकल नहीं सके। उनके पास कोई रास्ता नहीं है और उन्होंने उसे ही किस्मत मान लिया। उन्होंने अपने बड़े भाई तौफील को फोन किया और बताया कि वह आग में फंस गए हैं और बच नहीं सकते। उन्होंने फिर तौफील से एटीएम पिन नोट करने के लिए कहा और उनके अकाउंट से पैसे निकालकर परिवार देने की बात कही। तौफील यह सुनकर सदमे में आ गए इतने पर भी उन्होंने अब्दुल से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढने के लिए कहा। उन्होंने फोन पर पूछा कि क्या पास में कोई खिड़की नहीं जिससे अब्दुल बाहर कूद सके। भाई के साथ हुई इस घटना के बाद से तौफील बिलकुल टूट चुके हैं। वह अपनी और अब्दुल की आखिरी बातचीत को याद करते रहते हैं कि क्या वह अब्दुल को बचाने के लिए और कुछ कर सकते थे।