दरअसल बांका जिले के नीमा और जोरारपुर गांव के 500 घरों में दो हजार की आबादी बसती है। यहां लोगों के लिए सबसे बड़ी परेशानी गांव में किसी सड़क का न होना था। गांव से जुड़ा हुआ कोई भी संपर्क पथ न होने से गांववालों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा था।
सड़क के अभाव में सबसे ज्यादा दिक्कत महिलाओं को होती थी। प्रसव के दौरान कई महिलाओं ने बीच राह में ही दम तोड़ दिया। इन्हीं समस्याओं के समाधान के लिए गांव की करीब 150 महिलाओं ने इस काम को पूरा करने का बीड़ा उठाया और मात्र तीन दिन के भीतर दो किलोमीटर लंबी सड़क बना दी।
सड़क बनाने के इस अभियान से जुड़ी एक महिला का कहना था कि हमारे गांव से किसी भी संपर्क पथ से जुड़ाव नहीं था। लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर रास्ता है। इससे सभी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।
बता दें सड़क नहीं होने से महिलाओं को प्रसव के लिए बौंसी रेफरल अस्पताल ले जाना काफी मुश्किल होता था। इस संदर्भ में गांव की एक दूसरी महिला ने कहा कि गांव की छह से अधिक महिलाओं का पगडंडी पर ही प्रसव हुआ है। कई महिलाएं फिसल कर घायल हो भी चुकी हैं।
आपको बता दें कि गांव की महिलाओं के इस कार्य में पुरूषों ने भी अपना भरपूर सहयोग दिया। गांववालों के उत्साह को देखकर कई भूस्वामियों ने भी अपनी जमीन खुशी-खुशी दे दी। सभी के प्रयासों के फलस्वरूप गांव में अभी कामचलाऊ सड़क का निर्माण कर लिया गया है।