Coronavirus भगाने के लिए पुजारी ने दी मानव बलि, गला काटकर मंदिर में चढ़ाया हर क्षेत्र में नौकरियों पर संकट घिरा हुआ है। Lockdown का सबसे ज्यादा असर श्रमिकों पर पड़ा है। इनके पास ना तो घर का किराया देने का पैसा है ना ही घर चलाने का। Noida की Societies में काम करने वाली घरेलू सहायिकाओं का हाल तो और भी बुरा है। इनका काम पिछले 2 महीने से बंद पड़ा हुआ है। स्थिति यह है कि इन्हें अपना घर चलाने के लिए भीख मांगना पड़ रहा है।
Noida की Supertech Capetown Society में काम करने वाली मालती ने पत्रिका को बताया कि पहले Lockdown के बाद ही उन्हें काम से निकाल दिया गया था। उन्होंने बताया कि वो Society के 5 घरों में काम करती थीं। उनके काम से उनके परिवार का घर चलता था। ऐसे में जब काम ही नहीं है तो खाएं क्या? मालती ने बताया कि कई लोगों ने तो मार्च का पैसा भी नहीं दिया।
मालती अकेली नहीं हैं, उनके जैसी हजारों औरतें हैं जो लोगों के घरों में काम करती थीं लेकिन Lockdown की वजह से उनके घर में खाने तक के पैसे नहीं हैं।
Corona से मौत पर घर में रातभर मातम, सुबह जिंदा निकला बेटा पश्चिम बंगाल की रहने वाली मंजू बताती है कि लॉकडाउन (Lockdown) के बाद से उनके जैसे तमाम लोगों के पास काम नहीं है। कई लोग तो अपने बच्चों का पेट पालने के लिए भीख मांगने के लिए मजबूर हैं लेकिन इस Lockdown में वो भी नहीं मिल रहा है। मंजू ने बताया कि कई घरेलू सहायिकाएं पैदल ही अपने गांव लौट गईं हैं और बाकी लोग भी शहर छोड़ने की बात कर रहे हैं। हमें ये भी नहीं पता है कि स्थिती कब सुधरेगी। हम काम पर दोबारा कब लौट सकेंगे?
31 साल की चम्पा की कहानी वैसी ही है। चम्पा ने बताया कि वह 3 घरों में काम करती थीं। Lockdown के बाद भी वे काम करती रहीं लेकिन 30 मार्च से लोगों ने उन्हें घर आने से मना कर दिया। जब उन्होंने पैसे की बात की तो कहा गया कि रुपये Paytm कर देगें या सीधे खाते में भेजेंगे लेकिन अभी तक किसी ने पैसा नहीं दिया। फोन करने पर काट देते हैं।
आखों में आंसू लिए चम्पा ने कहा, ये शहर के लोग हमारा दर्द नहीं समझते हैं। अब मैं अपने परिवार के साथ गांव लौटना चाहती हूं और फिर कभी लौट कर शहर नहीं आउंगी।