गुणानुवाद करते हुए आचार्य चंद्रयश सूरीश्वर ने कहा कि दुनिया में जन्म लेने वाले बहुत हैं। मगर सब की जीवन पद्धति भिन्न है। जन्म लेने के बाद जीवन कैसे जिएं वह मूल्यवान है। जगत में दो प्रकार के व्यक्ति हैं ज्ञानी और अज्ञानी। ज्ञानी का जीवन आत्म प्रधान होता है। अज्ञानी का जीवन पुद्गल प्रधान होता है। ज्ञानी का जीवन परार्थ वाला होता है और अज्ञानी का जीवन स्वार्थ वाला होता है। अज्ञानी के जीवन में पैसे का महत्व होता है जबकि ज्ञानी के जीवन में प्रेम का महत्व होता है। आज ऐसे ही ज्ञानी पुरुष आचार्य स्थूलभद्र की महानता बताती है कि उनका जीवन महान था। उनके लिए सब समान थे। उनका एक ही मंत्र था जोडऩे का काम करो, तोडऩे का नहीं। इस अवसर पर मुनि संयमयश विजय, मुनि मोक्षयश विजय, मुनि हेमचंद्र विजय ने भी गुरु के गुणगान किया।
इस अवसर चेन्नई के पारसमल-कंवरलाल वैद्य की ओर से नगर सभा व देवनहल्ली पुलिस स्टेशन में आपातकालीन उपयोग के लिए ऑक्सीजन मशीन प्रदान की गई। नगर सभा अध्यक्ष रेखा वेणुगोपाल, बेंगलूरु ग्रामीण जिला पंचायत सदस्य अनंत कुमारी भी मौजूद थीं। मुख्य लाभ अमरतबेन-प्रेमचंद वोरा, गिरीश ने लिया। तीर्थ धाम में ११ जुलाई को चातुर्मास प्रवेश होगा।