पूर्व छात्रों का योगदान, किम्स को दिया नया रूप
किम्स एलुमनी नेटवर्क का गठन किया गठनपूर्व छात्रों से जुटाया चंदासंस्थान को नया रूप देने के साथ बने रोल मॉडल
पूर्व छात्रों का योगदान, किम्स को दिया नया रूप,पूर्व छात्रों का योगदान, किम्स को दिया नया रूप
किम्स एलुमनी नेटवर्क का गठन किया गठन
पूर्व छात्रों से जुटाया चंदा
संस्थान को नया रूप देने के साथ बने रोल मॉडल
हुब्बल्ली. कर्नाटक विश्वविद्यालय के कौसली इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (किम्स) के पूर्व छात्रों ने संस्थान को एक नया रूप देने के साथ रोल मॉडल बने हैं। यह संस्था अपने स्वयं के भवन और सुविधाओं के बिना खस्ताहाल थी, अब पुनर्जीवित हो गई है।
जिस संस्थान में पढ़ाई की है उसके बेहद खराब स्थिति में होने के बारे में जानकर इसे बेहतर संस्थान बनाने के लिए वरिष्ठ छात्रों ने कमर कस ली है। वे चंदा देकर खुद आगे खड़े होकर कार्यों की निगरानी कर अत्याधुनिक सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं।
1976 में शुरू हुई किम्स संस्था अब अपनी स्वर्ण जयंती की दहलीज पर है। अब तक लगभग चार हजार छात्र डिग्री प्राप्त कर चुके हैं। संस्था शुरू हुए 48 वर्ष बीत जाने के बावजूद न तो अपना भवन था और न ही आवश्यक सुविधाएं। प्राच्य वस्तु (ओरिएंटल) संग्रहालय भवन में अध्ययन विभाग में कार्यरत थी। संस्थान के पूर्व छात्रों ने किम्स एलुमनी नेटवर्क (केएएन) का गठन है। संस्थान में हर वर्ष दर्पण कार्यक्रम का आयोजन करते हैं। दो वर्ष पहले दर्पण कार्यक्रम में प्राध्यापक ने वरिष्ठ विद्यार्थियों को संस्थान की स्थिति से अवगत कराया था। पूर्व छात्रों ने संस्था को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया और सक्रिय हो गए।
केएएन अध्यक्ष नरेश शाह, संजीव घनाटे, प्रमोद झलकीकर, ज्योतिराज, मंजुनाथ का जिम्मेदारी ली। प्रमोद ने धन इक_ा करने की जिम्मेदारी ली, संजीव घनाटे भवन निर्माण कार्य की… इस प्रकार हर एक ने जिम्मेदारी ली और काम करना शुरू कर दिया। उनकी इच्छा है कि उन्होंने जिस संस्थान से शिक्षा प्राप्त की है, उसमें उत्कृष्ट सुविधाएं प्रदान की जाएं और इसे प्रबंधन अध्ययन के सर्वोत्तम केंद्रों में से एक बनाया जाए।
अधिकतम 10 लाख रुपए तक का दान दिया
सबसे पहले उन्होंने संस्थान के लिए अपना भवन बनाने पर ध्यान केंद्रित किया और शिक्षकों के साथ कुलपति को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने प्राच्य वस्तु संग्रहालय के बगल में स्थित निर्माणाधीन भवन को संस्थान को देने की कार्रवाई की। प्रमोद झलकीकर ने विभिन्न जगहों पर स्थित संस्थान के छात्रों से संपर्क किया। लगभग 400 छात्रों 1.35 करोड़ रुपए चंदा जुटाया। कम से कम 5 हजार, अधिकतम 10 लाख रुपए तक का दान दिया है।
कनाडा में सासद चंद्र आर्य भी किम्स के पूर्व छात्र
इस संस्थान से पढ़ाई करने वाले कई लोग विदेशों में कार्यरत हैं। कुछ आईआईटी और आईआईएम में प्राध्यापक हैं। कई अन्य लोग अपने स्वयं के व्यवसाय और उद्योग में जुटे हुए हैं। कनाडा में सासद चंद्र आर्य भी किम्स के पूर्व छात्र हैं।
बुनियादी ढांचा तैयार करने का पहला चरण पूरा
संजीव घाटे ने सामने खड़े होकर काम की निगरानी की। उच्च तकनीक सुविधाओं के साथ भवन (34 हजार वर्ग फुट क्षेत्र) का नवीनीकरण किया गया। डिजिटल बोर्ड सुविधा वाली कक्षाएं, पुस्तकालय, रोजगार मार्गदर्शन केंद्र, कंप्यूटर प्रयोगशाला, प्राध्यापकों के लिए कमरे, सभागार, मैदान उपलब्ध कराए गए हैं। पूर्व छात्रों की टीम ने बुनियादी ढांचा तैयार करने का पहला चरण पूरा कर लिया है।
हाई-टेक सुविधाएं प्रदान की
केआईएम के एलुमनी नेटवर्क के अध्यक्ष नरेश शाह ने खुशी से बताया कि हमने कुलपति के साथ किम्स की गंभीर स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने ओरिएंटल संग्रहालय के बगल में भवन उपलब्ध किया। उन्होंने अनुदान की कमी के बारे में बताया। हम खुद पैसा इक_ा कर हाई-टेक सुविधाएं प्रदान की है।
उन्नत कौशल में प्रशिक्षण शुरू किया
उन्होंने बताया कि बहुत से लोग संस्था के विकास के लिए धन देने के इच्छुक हैं। धारवाड़-हुब्बल्ली में रहने वाले पूर्व छात्रों ने जिम्मेदारी ली है। सिविल कार्य, धन संग्रह, प्रबंधन इस प्रकार हर एक जिम्मेदारी को हर एक ने ली है। दूसरे चरण में हमने सभी छात्रों को व्यावहारिक प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और रोजगार प्रदान करने की योजना बनाई है। उनके समूह ने सॉफ्ट स्किल, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन भाषा जैसे उन्नत कौशल में प्रशिक्षण शुरू किया है।
सर्वश्रेष्ठ योगदान
किम के पूर्व छात्रों का यह कदम अनुकरणीय है। जिस संगठन से आपने सीखा है, उसमें कुछ योगदान देना एक अच्छा विचार है। इस मॉडल को अन्य अध्ययन विभागों को भी अपनाना चाहिए। संस्थान के पूर्व छात्र, तेलंगाना राज्य परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक विश्वनाथ सी. सज्जनवर ने 3 मार्च को नए भवन का उद्घाटन किया। यह प्रशंसनीय है कि अगली पीढ़ी के छात्रों को जिस संस्थान से उन्होंने पढ़ाई की है, उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देकर उनके जैसा स्थान पाना चाहिए।
–प्रो. केबी गुडसी, कुलपति, कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़
विभाग के विकास के लिए हाथ मिलाया
दर्पण कार्यक्रम में हर साल 100 से 150 वरिष्ठ छात्र भाग लेते हैं। इस कार्यक्रम में हमने वरिष्ठ छात्रों से संस्था के विकास को लेकर चर्चा की। वरिष्ठ छात्रों ने एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है। बहुतों ने मदद की है। विभाग के विकास के लिए हाथ मिलाया है।
– प्रो. एन. रमांजनेयलु, निदेशक, किम्स, कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़
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