बच्चों में कलात्मक अभिव्यक्ति विकसित हो-बच्चों के नाटकोत्सव में मेजर सिद्धलिंगय्या हिरेमठ ने कहा[typography_font:18pt;” >धारवाड़सार्वजनिक शिक्षा विभाग के अपर आयुक्त मेजर सिद्धलिंगय्या हिरेमठ ने कहा है कि विद्यार्थियों में कलात्मक अभिव्यक्ति विकसित होने की दिशा में शिक्षकों को प्रोत्साहित करना चाहिए। वे धारवाड़ में डेप्युटी चन्नबसप्पा प्राथमिक शिक्षा प्रतिष्ठान, डयट एवं शिक्षिकाओं के सरकारी प्रशिक्षण विद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित जिला स्तरीय पाठ्य आधारित बच्चों के नाटकोत्सव के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि रंगमंच पर नए प्रयोग की ओर विद्यार्थियों को खुल कर आगे आने की जरूरत है। इस दिशा में बच्चों को विशेष प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है। नाटक का मतलब जिज्ञासा है। यह सबको अपनी ओर आकर्षित करता है। मौजूदा दौर में नाटक ऐसा माध्यम है जो लोगों के मूल्यों को बनाता है और साथ साथ समाज सुधारने का कार्य करता है। नाटक में भूमिका का निर्वाह, बातचीत, सभी मिलकर जीवन व्यतीत करने का अनुभव आदि सब कुछ एक ही मंच पर दर्शाते हुए विद्यार्थियों को आपसी भाईचारे का जीवन जीने की आदत डाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा नाटक पाठ्य आधारित होने के कारण विषय की गहराई का अवलोकन करने में सहायक होता है। शिक्षक वाई.बी. कडक़ोल और पी.डी. वालीकार को स्व. चन्नबसप्पा कलकोटी शिक्षक साहित्यकार पुरस्कार प्रदान किया गया। सेवा निवृत शिक्षक लूसी साल्डाना को स्व. मोहन नागम्मनवर साधक महिला दत्ती पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मानद डॉक्टरेट प्राप्त डॉ. गुरुमूर्ति यरगंबलीमठ को सम्मानित किया गया। पाठ्य गतिविधियों से बच्चे बनते हैं होशियारकार्यक्रम का उद्घाटन कर रंगायण के निदेशक रमेश परविनायकर ने कहा कि स्पर्धात्मक जगत में पाठ्य के साथ नाटक, नृत्य, गायन, खेल जैसे अन्य गतिविधियों में भी बच्चों को भाग लेना चाहिए। इससे विद्यार्थियों का दिमाग चालाक होता है। वरिष्ठ शिक्षा विशेषज्ञ शिवशंकर हिरेमठ, साहित्यकार लीला कलकोटी, टी.सी.डब्लू. के प्राचार्य संजीव बेंगेरी, प्रतिष्ठान की सचिव डॉ. रेणुका अमलझरी, विद्यार्थी तथा अन्य उपस्थित थे। एस.बी. कोड्ली ने अतिथियों का स्वागत किया। बाल साहित्यकार के.एच. नायक ने प्रास्ताविक भाषण किया। मार्तांडप्पा कत्ती ने कार्यक्रम का संचालन किया। अंत में शंकर गंगण्णवर ने आभार व्यक्त किया। ……………………………………………….