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हुबली

अनेकता में एकता को दर्शाते पर्व-त्यौहार, मिलकर करते हैं सामाजिक-धार्मिक आयोजन, प्रवासियों में घोलते शांति व भाईचारे का संदेश

अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस

हुबलीDec 19, 2023 / 10:24 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

International Human Solidarity Day

Ukchand Bafna, President, Shri Vardhman Sthanakwasi Jain Shrawak Sangh, Hubballi

एकात्म भाव भारतीय संस्कृति का मूल भाव है। वसुधैव कुटुम्बकम का मंत्र भारत ने ही विश्व को दिया है। हर साल 20 दिसंबर को विविधता में एकता को चिन्हित करने और एकजुटता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व स्तर पर अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने एकता का संदेश देने के लिए 20 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस घोषित कर रखा है। अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस का उद्देश्य लोगों को विविधता में एकता की अहमियत बताते हुए जागरूकता फैलाना हैं। विश्व के विभिन्न देश इस दिन लोगों के बीच शांति, भाईचारा, प्यार, सौहार्द और एकता के संदेश का प्रसार करते हैं। अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस एकजुटता को साझा हितों और उद्देश्यों के बारे में जागरूकता के रूप में परिभाषित किया जाता है जो एक ऐसे समाज में एकता और संबंधों की मनोवैज्ञानिक भावना पैदा करते हैं जो लोगों को एक-दूसरे के साथ बांधते हैं।
एक-दूसरे को पहचानने का अवसर
हुब्बल्ली एवं उत्तर कर्नाटक के अन्य शहरों में प्रवासी समाज के कई संगठन बने हैं जिनके माध्यम से भी आपसी भाईचारे एवं एकता की भावना को प्रबल किया जाता है। इनके माध्यम से सामाजिक आयोजनों के जरिए एक-दूसरे को पहचानने का अवसर मिलता है। आपस में मैत्री भावना प्रगाढ़ होती है। इसी तरह होली-दिवाली एवं अन्य पर्व-त्यौहार भी साथ मनाकर एकजुटता का परिचय देने का प्रयास किया जाता है। इस दिन एकता, प्रेम, सद्भाव व सौहार्द की अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित करते हुए विश्व में शांति बनाए रखने का संकल्प लेते हैं। यह हमारी विविधता में एकता का जश्न मनाने का दिन है। गरीबी एवं अशिक्षा का अंधकार का मिटे और विश्व में प्रेम, सौहार्द तथा सद्भाव का नव दीप देदीप्यमान हो, ऐसे पुनीत प्रयासों में ही इस दिवस की सार्थकता है।
धार्मिक-सामाजिक आयोजन से संबंध प्रगाढ़
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ हुब्बल्ली के अध्यक्ष उकचन्द बाफना मोकलसर कहते हैं, परस्पर सामाजिक संगठनों के माध्यम से समय-समय पर स्नेह मिलन कार्यक्रम एवं अन्य सामाजिक आयोजन होने से एक-दूसरे के बीच संबंध प्रगाढ़ होते हैं। आपसी प्रेम एवं भाईचारे की भावना इससे और मजबूत होती है। परिवार के लोगों को आपस में मिलकर एक साथ बैठने का अवसर मिलता है। बाफना कहते हैं, रक्षाबंधन व दिवाली सरीखे आयोजन भी हमारे प्रेम को मजबूत बनाने का काम करते हैं। पर्व-त्यौहार हमें अनेकता में एकता की भावना को सिखाते हैं। शांति व भाईचारे की भावना का संदेश इन पर्वों से हमें मिलता है। सामाजिक कार्यक्रमों के आयोजन से आपसी सामाजिक जुड़ाव मजबूत होता है। आपसी परिचय बढ़ता है। बच्चों को ऐसे आयोजनों में प्रोत्साहन से उनकी हौसलाअफजाई होती है। धर्म के आयोजन भी खूब होते हैं। इससे भी धर्मगुरुओ के प्रवचन सुनने का अवसर मिलता है। कई सार्थक बातें जीवन में उतारने का अवसर गुरुजनों से मिलता है। हमारा ज्ञान बढ़ता है। रिश्तों में मजबूती आती है। दान-पुण्य की भावना प्रबल होती है। शिष्टाचार, नैतिकता, प्रेमाभाव हमें सीखने को मिलता है। धार्मिक-सामाजिक आयोजनों से हमारी पहचान में बढ़ोतरी होती है। समाज के लोगों से परिचय होता है।

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