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हुबली

भाजपा का दक्षिणी राज्यों में फोकस लेकिन कर्नाटक को छोड़ अन्य प्रदेशों में नहीं मिल पाई सफलता

लोकसभा चुनाव

हुबलीApr 12, 2024 / 06:08 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

Lok Sabha Elections

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दक्षिणी राज्यों में भाजपा खास फोकस कर रही है। हालांकि भाजपा को दक्षिण में अब तक कर्नाटक को छोड़ किसी अन्य राज्य से खास सफलता नहीं मिल पाई है। इस बार कर्नाटक में भाजपा एवं जेडीएस मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली के जरिए भाजपा मतदाताओं को रिझाएगी। पुराने मैसूरु क्षेत्र और तटीय कर्नाटक के लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा के लिए समर्थन मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी १४ अप्रेल को राज्य के कुछ हिस्सों में प्रचार करने वाले हैं। इस दिन दोपहर में मैसूरु में सार्वजनिक बैठक रखी गई है। उसके बाद शाम को तटीय शहर मेंगलूरु में रोड शो किया जाएगा। 26 अप्रेल को कर्नाटक के 14 निर्वाचन क्षेत्रों में लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण से पहले पीएम मोदी की यह पहली रैली होगी।
गठबंधन के नेता करेंगे मंच साझा
भारतीय जनता पार्टी के सूत्रों के अनुसार, जेडीएस के शीर्ष नेताओं पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा और जेडीएस के प्रदेश अध्यक्ष एच डी कुमारस्वामी के रैली में भाग लेने की उम्मीद है। इस साल की शुरुआत में गठबंधन की घोषणा के बाद यह पहली रैली होगी जहां राज्य में भाजपा के गठबंधन सहयोगी जेडीएस पीएम मोदी के साथ मंच साझा करेंगे। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने पुराने मैसूरु में कई निर्वाचन क्षेत्रों में आसानी से जीत हासिल की, लेकिन पिछले साल हुए कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया था। ऐसे में अब भाजपा-जेडीएस गठबंधन के लिए पिछला प्रदर्शन दोहराना आसान नहीं होगा।
मोदी से भाजपा को उम्मीद
इस क्षेत्र में कांग्रेस के बड़ी संख्या में विधायक हैं और भाजपा को उम्मीद है कि क्षेत्र में पीएम मोदी के अभियान से राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी के लाभ की भरपाई हो जाएगी। भाजपा ने मैसूरु के राजा यदुवीर वाडियार को मैसूर-कोडागु से और एस बलराज को चामराजनगर से मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला सिद्धरामय्या के करीबी सहयोगी एम लक्ष्मण और समाज कल्याण मंत्री डॉ. एचसी महादेवप्पा के बेटे सुनील बोस से है। रैली के बाद मोदी मेंगलूरु में एक रोड शो में हिस्सा लेंगे, जो दक्षिण कन्नड़ निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है। इस निर्वाचन क्षेत्र को भाजपा का गढ़ माना जाता है क्योंकि 1991 से 2008 तक मेंगलूरु लोकसभा क्षेत्र से और 2008 के परिसीमन के बाद दक्षिण कन्नड़ से पार्टी के सांसद चुने गए हैं। पीएम मोदी के रोड शो में दक्षिण कन्नड़ और उडुपी-चिकमंगलूर से पार्टी समर्थकों के शामिल होने की उम्मीद है।
1989 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने कर्नाटक की 28 में से 27 सीटें जीती थीं
दक्षिणी राज्यों में देखा जाएं तो कर्नाटक भाजपा के लिए अधिक मुफीद रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में कर्नाटक में भाजपा ने 28 में से 25 सीटें अपने कब्जे में कर ली थीं। हालांकि इस बार भी पार्टी पिछली जीत को दोहराने के लिए पूरी ताकत झोंक रही हैं लेकिन इस बार राह थोड़ी मुश्किल दिख रही है। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में कर्नाटक में कांग्रेस बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और उसने सरकार बनाई। ऐसे में इसका असर लोकसभा चुनाव पर भी देखने को मिल सकता है। भाजपा की कुछ सीटों पर बागी भी खेल बिगाड़ सकते हैं।
मोदी लहर पर सवार होकर भाजपा ने 2019 में 28 निर्वाचन क्षेत्रों में से 25 में अपने उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित कर ली थी। पिछली बार किसी पार्टी ने कर्नाटक में 25 या उससे अधिक सीटें तीन दशक से भी पहले जीती थीं। 1989 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने कर्नाटक की 28 सीटों में से 27 सीटें जीती थीं। तब से कांग्रेस के जीती गई लोकसभा सीटों की संख्या में धीरे-धीरे गिरावट देखी गई। 2019 में यह अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई जब पार्टी ने संसदीय चुनावों में सिर्फ एक सीट जीती। भगवा पार्टी ने पहली बार 1991 में कर्नाटक में अपना खाता खोला था, जब भाजपा के तीन नेता राज्य से चुने गए थे। पहले के मैंगलोर निर्वाचन क्षेत्र से वी धनंजय कुमार, बेंगलूरु दक्षिण से के वेंकटगिरी गौड़ा और तुमकुर से एस मल्लिकार्जुनैया। अगले चुनाव में भाजपा अपनी सीटों की संख्या पांच तक बढ़ाने में सफल रही। तब से बीजेपी की ताकत बढ़ी है, जिसके लिए 90 के दशक के अंत में जनता दल का विभाजन एक प्रमुख कारक माना जाता है। 1998 में 13 सीटें जीतकर पहली बार कर्नाटक से दोहरे अंक में सीटें हासिल करने वाली भाजपा अपनी सीटें और बढ़ाने में सफल रही। 2014 में जनता दल (यूनाइटेड) के भाजपा में विलय के बाद इसकी संख्या 18 हो गई, जिसके परिणामस्वरूप पार्टी को महत्वपूर्ण लाभ हुआ। खासकर लिंगायत बहुल उत्तरी कर्नाटक क्षेत्र में। 2009 और 2014 के अगले दो चुनावों में कर्नाटक से भाजपा की सीटें क्रमश: 19 और 17 थीं। इस बीच कांग्रेस ने 1998 के बाद से कर्नाटक में नौ से अधिक सीटें नहीं जीती। कर्नाटक में कांग्रेस की सबसे अधिक सीटें 1998 और 2014 के चुनावों में थीं जब कांग्रेस ने क्रमश: नौ सीटें जीतीं। कांग्रेस और जद (एस) दोनों ने 2019 में अपनी सबसे कम सीटें दर्ज कीं, जब दोनों पार्टियों ने एक-एक सीट जीती।

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