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रखरखाव शुल्क बकाया बना समस्या

रखरखाव शुल्क बकाया बना समस्या-कुछ विभागों का छाह-सात वर्षों में 89.69 लाख रुपए बकायाहुब्बल्ली

हुबलीFeb 22, 2020 / 08:24 pm

Zakir Pattankudi

रखरखाव शुल्क बकाया बना समस्या

रखरखाव शुल्क बकाया बना समस्या

89.69 लाख रुपए बकाया

तालुक पंचायत ने जून के अंततक 87 माह का 54 लाख 29 हजार 580 रुपए रखरखाव शुल्क बकाया रखा है। इसी प्रकार सूचना विभाग चार लाख 49 हजार 280 रुपए, समाज कल्याण विभाग चार लाख 36 हजार, 620 रुपए समेत विभिन्न विभागों ने बकाया रखा है। जून 2019 से अब तक का हिसाब लगाएंगे तो बकाया राशि और अधिक बढ़ेगी। इसमें अभी नए से शूरु हुए भू दस्तावेज तथा यूपीआर विभागों का रखरखाव शुल्क शामिल करना है। सभी विभागों से कुल 89 लाख 69 हजार 196 रुपए रखरखाव शुल्क बकाया चल रहा है।

हर माह रखरखाव पर तीन लाख रुपए खर्च

अधिकारियों का कहना है कि रखरखाव शुल्क से प्राप्त होने वाली इस राशि में ही सुरक्षा कर्मचारियों का वेतन, बिजली, स्वच्छता समेत न्यूनतम सुविधाओं के लिए खर्च किया जाता है। रखरखाव शुल्क का भुगतान नहीं करने से लोगों के लिए जरूरी अच्छी हालत में स्थित शौचालय, लिफ्ट, उचित सुरक्षा कार्रवाई समेत विभिन्न सुविधा उपलब्ध करना संभव नहीं हो पा रहा है। हर माह भवन के रखरखाव के लिए न्यूनतम तीन लाख रुपए खर्च आता है। इतनी अधिक राशि संग्रह नहीं होने से रखरखाव दुबर हो रहा है, विभागों के असहयोग से लोग समस्या झेल रहे हैं।

प्रतिष्ठा की लड़ाई

तालुक पंचायत का तर्क है कि मिनी विधानसौधा निर्माण की जमीन उसके स्वामित्व की होने से रखरखाव खर्च का भुगतान नहीं करेगा। इसके भाग के तौर पर समाज कल्याण विभाग भी तालुक पंचायत के अंतर्गत आने से यह भी तालुक पंचायत की ओर इशारा कर रहा है। इसके चलते इन दोनों विभागों से 58 लाख रुपए से अधिक शुल्क बकाया है। शुल्क बकाया रखने वाले सभी विभागों के प्रमुखों को नोटिस जारी करने के बाद भी कोई फर्क नहीं पड़ा।

बोझ बना शुल्क

अधिकारियों का कहना है कि आरम्भ में प्रति वर्ग फीट के लिए दो रुपए रखरखाव शुल्क निर्धारित किया गया था। इस राशि में इतने बड़े भवन का रखरखाव संभव नहीं होने के कारण 2017 में रखरखाव समिति में चर्चा कर प्रति वर्ग फीट के लिए दस रुपए निर्धारित किया गया। कुछ विभागों के लिए यह बोझ बना। प्राप्त होने वाली कुछ रखरखाव राशि में बिजली, फोन समेत अन्य का खर्च वहन करना मुश्किल हो गया है। विभागों के मुख्य कार्यालय से इतनी राशि रखरखाव के लिए भुगतान नहीं की जा रही है।

पूर्व के अधिकारियों की चूक

अधिकारियों का कहना है कि योजना के तहत मिनी विधानसौधा का निर्माण नहीं होने के कारण महानगर निगम ने सीसी (कम्पलीशन सर्टिफिकेट) नहीं दिया, जो भवन के मौजूदा हालात का कारण बना है। नियमानुरास भवन अगर लोकनिर्माण विभाग को हस्तांतरित हुआ होतो तो वही रखरखाव करता था। तत्कालीन अधिकारियों की ओर से की गई चूक से ब्ल्यू प्रिंट के विरुध्द निर्माण करने के कारण महानगर निगम ने सीसी नहीं दी। इसके चलते भवन राजस्व विभाग के कब्जे में ही है। इसी वजह से भवन के रखरखाव के लिए तहसीलदार के नेतृत्व में एक समिति का गठन कर रखरखाव के लिए लगने वाले खर्च को संबंधित विभागों से भुगतान करने का फैसला लिया गया। इसके परिणाम स्वरूप पूरे भवन के रखरखाव का जिम्मा तहसीलदार को ही देखना पड़ रहा है।

इनका कहना है

हर माह कम से कम तीन लाख रुपए रखरखाव के लिए खर्च होते हैं। सभी विभागों से हर माह रखरखाव शुल्क भुगतान होने पर यहां के कर्मचारी समेत लोगों को जरूरी सुविधा उपलब्ध कर सकते हैं। कुछ विभागों की ओर से समय समय पर बकाया भुगतान करने से उसी राशि में हर संभव सुविधा दी जा रही है। कई विभागों ने रखरखाव शुल्क का भुगतान नहीं करके बकाया रखा है। इसके चलते किसी भी प्रमुख कार्य को शुरू नहीं करने की स्थिति निर्माण हुई है।
शसिधर माड्याल, तहसीलदार

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