scriptसम्मेलनसम्मेलन में सह-अस्तित्व का संदेश | Message of coexistence in the conference | Patrika News
हुबली

सम्मेलनसम्मेलन में सह-अस्तित्व का संदेश

सम्मेलनसम्मेलन में सह-अस्तित्व का संदेश-घृणा और नफरत के खिलाफ उडुपी में राज्य स्तरीय -काम नहीं आएगी नफरत की फसल: योगेंद्र यादव-देश के बुद्धिजीवियों सहित हजारों लोगों ने सम्मेलन में लिया भाग

हुबलीMay 16, 2022 / 12:51 pm

Zakir Pattankudi

,,

सम्मेलनसम्मेलन में सह-अस्तित्व का संदेश,सम्मेलनसम्मेलन में सह-अस्तित्व का संदेश,सम्मेलनसम्मेलन में सह-अस्तित्व का संदेश


उडुपी. घृणा और नफरत के खिलाफ भाईचारे और सह-अस्तित्व का संदेश फैलाने के लिए उडुपी में राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें देश के प्रख्यात बुद्धिजीवियों, विचारकों, धार्मिक नेताओं और सामाजिक नेताओं के अलावा हजारों प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मेलन के वक्ताओं नेे कहा कि देश में सांप्रदायिकता को बढ़ावा देकर अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमानों के खिलाफ नफरत और दुश्मनी का माहौल बनाया गया है। हर शांतिप्रिय और न्यायप्रिय मनुष्य इस बात को लेकर चिंतित है और इस विचारधारा को लोकतंत्र और राष्ट्रीय अखंडता के लिए खतरा मान रहा है।
प्रख्यात बुद्धिजीवी योगेंद्र यादव ने कहा कि उडुपी से नफरत की एक नई हवा चली है जिसने पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया है। तटीय क्षेत्र की यह भूमि बहुत उपजाऊ है। इसमें कुछ भी उगाना संभव है। इसलिए इस धरती को निशाना बनाकर यहां नफरत के बीज बोए गए। लेकिन आज के अधिवेशन के माध्यम से हम यह संदेश देना चाहते हैं कि नफरत और दुश्मनी की फसल आने वाली नहीं है।
देश को बांटने के किये जा रहे प्रयास

यादव ने कहा कि आज देश को बांटने का प्रयास किया जा रहा है और इन प्रयासों को विफल करने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए। जाति और वर्ग के नाम पर देश को दो भागों में बांटने का प्रयास किया जा रहा है। एक वर्ग को जमींदार और दूसरे को किराएदार के रूप में रखने का प्रयास किया जाता है। इस संबंध में हिंदी भाषा को पूरे देश पर थोपने का प्रयास ताजा उदाहरण है। हम इस सम्मेलन के माध्यम से संदेश देते हैं कि इस तरह के हर प्रयास को विफल कर दिया जाएगा। अगर वे टूटते हैं, तो हम फिर से जुड़ जाएंगे।
धर्मनिरपेक्षता है मूल मंत्र

योगेंद्र यादव ने कहा कि यहां धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उठाने वाले कुछ लोगों का कहना है कि यह शब्द पहले भारत के संविधान में नहीं था लेकिन 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसे संविधान में शामिल किया था। यह पूरा झूठ है। तथ्य यह है कि यहां हजारों सालों से धर्मनिरपेक्षता, भाईचारा और सद्भाव मौजूद है। यह अंग्रेजों का धर्म नहीं है बल्कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में इसी आधार पर आजादी की लड़ाई लड़ी गई थी। यह 5,000 वर्षों से इस देश का मुख्य मंत्र रहा है। इसे औपचारिक रूप से भारत के संविधान में केवल लिखित रूप में शामिल किया गया है।

कौन है देश का दुश्मन?

उन्होंने कहा कि आजकल सबसे ज्यादा सुनाई देने वाला मुहावरा देश का गद्दार या देश का दुश्मन है। यह सर्टिफिकेट कौन दे रहा है? जो लोग इस देश के लोगों को एकजुट करने और उन सभी को एक नजर में देखने की कोशिश करते हैं, वे देशभक्त हैं और जो देश में नफरत और दुश्मनी फैला रहे हैं। वे जाति और धर्म के आधार पर दुश्मनी और कलह पैदा करते हैं। आज के संदर्भ में किसी को मुंह से यह कहने की जरूरत नहीं है कि कौन सा देश शत्रुतापूर्ण और विश्वासघाती है।देश की नींव बचाने के लिए योगेंद्र यादव ने कहा कि आज हमारे देश में बुलडोजर चलाए जा रहे हैं। देश के संविधान पर, भाईचारे पर, सद्भाव पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं। लेकिन इस देश की नींव को बचाने और संरक्षित करने के लिए हम सभी को एक होना चाहिए।
आपसी रंजिश का कारण: सेंथिल

सरकारी नौकरी में ठोकर खाकर आईएएस पद से इस्तीफा देने वाले और मेंगलूरु के उपायुक्त रह चुके सामाजिक नेता शशिकांत सेंथिल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि पिछले 50 वर्षों से हम भूल रहे हैं कि हम भारतीय हैं इसलिए हमारे बीच दुश्मनी और नफरत बढ़ती जा रही है। इसलिए अब हमें सहअस्तित्व आंदोलन के साथ आगे बढ़ना चाहिए, उन्होंने कहा कि इस तरह का कार्यक्रम राज्य के कोने-कोने में लगातार होना चाहिए, जिससे भारत की आत्मा को बचाया जा सके। मंच पर समाज के विभिन्न वर्गों एवं संस्थाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले बड़ी संख्या में नेता एवं नेता मौजूद थे।

Home / Hubli / सम्मेलनसम्मेलन में सह-अस्तित्व का संदेश

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो