scriptProud Mother: मां ने बेटी से कहा- दीवार पर लिख ले,”मैं कर सकती हूं” और बेटी ने छू ली सफलता की बुलंदी, मां की प्रेरणा से सिविल सेवा के साथ ही भारतीय वन सेवा में चयन | Mother told her daughter to write on the wall, I can do it and daughter touched the heights of success, got selected in Indian Forest Service along with Civil Services due to mother's inspiration | Patrika News
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Proud Mother: मां ने बेटी से कहा- दीवार पर लिख ले,”मैं कर सकती हूं” और बेटी ने छू ली सफलता की बुलंदी, मां की प्रेरणा से सिविल सेवा के साथ ही भारतीय वन सेवा में चयन

कहते हैं इस दुनिया में मां से बढ़कर दूसरा कोई नहीं हो सकता। मां की दुआएं सदा साथ रहती हैं। मां का यदि आशीर्वाद मिल जाएं तो व्यक्ति बुलंदियां छू सकता हंै। आज मदर्स डे पर हम एक ऐसी ही मां की बात कर रहे हैं जिसका अपनी बेटी को सफलता के शिखर पर पहुंचाने में बड़ा रोल रहा।

हुबलीMay 12, 2024 / 12:23 am

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

proud mother

अपनी बेटी कृपा पालरेचा के साथ मां इंदिरा पालरेचा।

प्राउड मदर इंदिरा पालरेचा
राजस्थान के बालोतरा जिले के मोकलसर मूल की हुब्बल्ली प्रवासी इंदिरा पालरेचा किसी प्राउड मदर से कम नहीं है। उनकी बदौलत बेटी कृपा पालरेचा ने दो-दो सफलताएं हासिल की हैं। कुछ दिनों पहले कृपा ने सिविल सेवा परीक्षा पास की और हाल ही वे भारतीय वन सेवा में भी चयनित हो चुकी है। इस सफलता में उनकी माता इंदिरा पालरेचा का विशेष योगदान रहा।
खुद पर रखें भरोसा
मदर्स डे के मौके पर इंदिरा पालरेचा ने राजस्थान पत्रिका के साथ विशेष बातचीत में कहा, बेटी कृपा पालरेचा जब दूसरी बार सिविल सेवा परीक्षा दे रही थी तब बेटी ने कहा, मां, मुझसे यह नहीं होगा। मैं यह नहीं कर पाउंगी। तब मैंने उसे समझाया- तूं इतनी टेलेन्ट हैं। तंू सब कुछ कर सकती है। मैंने उससे कहा कि तूं दीवार पर यह बात लिख ले कि मैं कर सकती हूं और इसे ही जेहन में रख। खुद पर भरोसा रख। इसका परिणाम यह हुआ कि कृपा पालरेचा का सिविल सेवा परीक्षा के तीसरे प्रयास में अंतिम रूप से चयन हो गया। इसके कुछ दिन बाद ही भारतीय वन सेवा का परिणाम आया तो उसे अखिल भारतीय स्तर पर 18 वीं रैंक मिली। मैंने बेटी को बारहवीं कक्षा तक मोबाइल नहीं दिलाया। बाद में जब कॉलेज में प्रवेश लिया तो प्रोजेक्ट कार्य के लिए ही मोबाइल दिलाया।
बचपन से ही होनहार
इंदिरा पालरेचा अपनी बेटी कृपा की बचपन की बात साझा करते हुए कहती हैं, जब उसे स्कूल में दाखिला करवाया तो स्कूल से मिलने वाले गृह कार्य को वह घर के बाहर बैठकर ही पूरा कर लेती थी और गृह कार्य पूरा होने के बाद ही घर में दाखिल होती थी। इससे पता चलता है कि पढ़ाई को लेकर उसकी लगन कितनी थी। शुरू से ही वह एक होनहार छात्रा रही। अपने काम को लेकर काफी एक्टिव रहती थी। बारहवीं की परीक्षा में धारवाड़ जिले की टॉपर बनी।
बच्चों से रोजाना बात करें
इंदिरा पालरेचा कहती हैं, मैं रोजाना अपने बच्चों से बात करती हूं। बेटी जब दिल्ली में रहकर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रही थी तब भी रोज सुबह एक बार फोन पर बात जरूर करती थी। इंदिरा बताती हैं कि कृपा को चटपटी चीजें खाने का अधिक शौक है। भेलपुरी उसकी पसंदीदा है। मम्मी के हाथ का बना खाना उसे बेहद पसंद है।
मेडिटेशन की सीख
इंदिरा कहती हैं, मैंने बीकॉम तक शिक्षा प्राप्त की। नवीं कक्षा तक मैंने उसे घर पर पढ़ाने में भी मदद की। इंदिरा पालरेचा की कूकिंग में खासी रूचि रही है। वे सामाजिक सेवा कार्य में भी अग्रणी रही है। सवेरा सोशियल ग्रुप की अध्यक्ष है। करीब पांच महीने पहले ही स्वयं का साबुन बनाने का गृह उद्योग खोला है। इससे पहले अपने पति अभय पालरेचा के बिजनस में भी समय-समय पर हाथ बंटाती रही है। इंदिरा पालरेचा को धार्मिक पुस्तकें पढऩे का शौक है। योग व मेडिटेशन भी वे नियमित रूप से करती है। बेटी को भी यही सीख दी कि रोज मेडिटेशन जरूर करें।
बच्चों में देशभक्ति की भावना भरें
इंदिरा पालरेचा का मानना है कि संतान के सक्सेज में एक मां का बहुत बड़ा योगदान होता है। हालांकि पिता की भूमिका भी रहती है। मां संतान को संस्कार देने का काम करती है। बच्चों में बचपन से हमें देशभक्ति की भावना भरनी चाहिए। बच्चों के दीमाग में यह चीज बिठाई जाएं कि हमें देश के लिए कुछ करना है। देश के लिए अपना योगदान जरूर होना चाहिए।

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