scriptNarmada: राजस्थान के लिए नर्मदा बनी जीवनदायिनी, लोगों को सुलभ हुआ पेयजल, पैदावार भी बढ़ी | Narmada became life-giving for Rajasthan, drinking water became available to people, production also increased | Patrika News
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Narmada: राजस्थान के लिए नर्मदा बनी जीवनदायिनी, लोगों को सुलभ हुआ पेयजल, पैदावार भी बढ़ी

नर्मदा नहर के बाद से राजस्थान के सांचौर, जालोर एवं बाड़मेर जिले के लोगों का जीवन स्तर सुधरा है। किसानों को जहां खेती में फायदा मिला हैं वहीं पेयजल की सुविधा उपलब्ध हो सकी है। नर्मदा सही मायने में लोगों के लिए जीवनदायिनी साबित हुई है।

हुबलीJun 11, 2024 / 08:14 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

Rao Mohan Singh

Rao Mohan Singh

नर्मदा नहर परियोजना से सांचौर व बाड़मेर जिले की कई हजार हेक्टेयर भूमि इससे सिंतित हो रही है। खासकर सांचौर क्षेत्र के किसानों को इसका अधिक फायदा मिल रहा है। इससे किसानों का जीवन संवर रहा है। नर्मदा का पानी बाड़मेर, सांचौर एवं जालोर जिले के कुछ हिस्सो में पेयजल के रूप में सुलभ हो रहा हैं वहीं बाड़मेर एवं सांचौर के कुछ हिस्सों में 90 दिनों के लिए सिंचाई के लिए भी उपलब्ध करवाया जा रहा है। नर्मदा नहर परियोजना प्रबंध समिति सांचौर के चेयरमैन एवं जालोर सेंट्र्ल को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व चेयरमैन राव मोहनसिंह चितलवाना ने राजस्थान पत्रिका के साथ विशेष बातचीत में यह जानकारी दी।
सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों को प्रोत्साहन
उन्होंने बताया कि नर्मदा नगर गुजरात से होते हुए राजस्थान में प्रवेश करती है। मुख्य नहर की लंबाई 532 किलोमीटर हैं जिसमें से गुजरात में 458 किलोमीटर और फिर राजस्थान में 74 किलोमीटर शामिल है। इंदिरा गांधी नगर के बाद यह देश की दूसरी सबसे लम्बी नहर है। वहीं जल वहन क्षमता की दृष्टि से देखा जाएं तो यह सबसे बड़ी नगर है। मुख्य नहर 42 शाखा नहरों से जुड़ी हुई है जो गुजरात में लगभग 18 लाख हेक्टेयर और राजस्थान में 2.5 लाख हेक्टेयर को सिंचाई प्रदान करती है। राजस्थान में यह नगर 2008 में शुरू की गई। गुजरात में 458 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद नर्मदा नहर सांचौर के शीलू के पास राजस्थान में प्रवेश करती है। राजस्थान में इसकी 11 प्रमुख वितरिकाएं हैं। ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
दिलवाते हैं हक
उन्होंने बताया कि कई बार पानी कम मिलने पर समझौता करवाया जाता है। अक्सर रबी की सीजन के समय किसानों को सिंचाई के पानी के लिए धरना देना पड़ता है। उन्हें पर्याप्त पानी नहीं मिलने से परेशानी होती है। कई बार गुजरात सरकार की ओर से पूरा पानी देने में टालमटोल रवैया अपनाया जाता हैं। जिस पर गुजरात सरकार से राज्य के हिस्से का पूरा पानी देने की मांग की जाती है। नर्मदा नहर परियोजना से राजस्थान को 2700 क्यूसेक पानी देने का निर्णय लिया गया था लेकिन कई बार इससे कम पानी देने पर दिक्कत होती है। ऐसे हालात में कई बार किसानों को आन्दोलन करना पड़ता है।
जिप्सम की मात्रा की अधिकता से पानी खारा हो रहा
राव ने बताया कि सांचौर क्षेत्र में जिप्सम की मात्रा अधिक है। ऐसे में पिछले एक-दो साल से पानी का लेवल ऊपर आने लगा है। खेत पानी से भर जाते हैं। पानी भी खारा हो रहा है। ऐसे में सांचौर क्षेत्र में अधिक बारिश होने पर भी पानी का लेवल ऊपर आने से जिले का करीब 50 फीसदी हिस्सा बर्बाद हो जाता है।

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