मूरुसाविरमठ उत्तराधिकारी पर बहस अनावश्यक[typography_font:14pt;” >हुब्बल्लीमठ के उच्च स्तरीय समिति के संचालक मोहन लिंबिकाई ने कहा कि मठ के मठाधीश के सामने अब उत्तराधिकारी चयन का मुद्दा नहीं है। मठाधीश सक्षम हैं, वही मठ को आगे ले जाएंगे। उत्तराधिकारी को लेकर चर्चा अनावश्यक है।शहर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए लिंबिकाई ने कहा कि शहर के मूरुसाविरमठ परिसर में 23 फरवरी को बैठक आयोजित करने के लिए मठ के मठाधीश या फिर प्रबंधक से किसी प्रकार की कोई अनुमति नहीं ली है। इसके चलते 23 फरवरी को मूरुसाविरमठ के उत्तराधिकारी मुद्दे से संबंधित सत्यदर्शन बैठक नहीं होगी। उन्होंने कहा कि उत्तराधिकारी विवाद 2014 में ही समाप्त हो गया है। मठ में बैठक बुलाने वाले दिंगालेश्वर स्वामी कौन होते हैं। मठ के प्रमुख या फिर जिम्मेदार पद पर रहने वालों को बैठक बुलानी चाहिए। कोई भी आकर बैठक बुलाएंगे तो इसका महत्व नहीं है। मूरुसाविरमठ के उत्तराधिकारी की नियुक्ति के लिए अपनी ही परम्परा है। उत्तराधिकारी चयन के लिए दो समाचार पत्रों में चयन के बारे में प्रकाशित करना चाहिए। साथ ही श्रध्दालुओं की सभा बुलाकर सर्वसम्मती या फिर बहुमत से चयन करना चाहिए। दिंगालेश्वर के चयन में इनमें से किसी भी नियम का पलन नहीं किया गया है। उत्तराधिकारी के संबंध में कोई भी बैठक करने को कहेंगे तो मौका नहीं दिया जाएगा। कोई भी अगर 52 जनों का हस्ताक्षर करवाने पर उत्तराधिकारी नियुक्त नहीं होगा। तानाशाह की तरह उत्तराधिकारी की नियुक्ति नहीं होगी।