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हुबली

कुछ देर तो लगती है

कविता

हुबलीFeb 05, 2024 / 11:23 am

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

Kavita

Siddhi Jain Hubballi

यादों को भुलाने में
कुछ देर तो लगती है
आंखों को सुलाने में
कुछ देर तो लगती है।

यादों को भुलाने में
कुछ देर तो लगती है
आंखों को सुलाने में
कुछ देर तो लगती है।।


किसी शख्स को भुला देना
इतना आसान नहीं होता
दिल को मुझे समझाने में
कुछ देर तो लगती है।
किसी शख्स को भुला देना
इतना आसान नहीं होता
दिल को मुझे समझाने में
कुछ देर तो लगती है।।

भरी महफिल में जब कोई
अचानक याद आ जाए
फिर आंसू छुपाने में
कुछ देर तो लगती है।
भरी महफिल में जब कोई
अचानक याद आ जाए
फिर आंसू छुपाने में
कुछ देर तो लगती है।।


जो शक्स जान से प्यारा हो
अचानक दूर हो जाए
तो दिल को यकीन दिलाने में
कुछ देर तो लगती है।
जो शक्स जान से प्यारा हो
अचानक दूर हो जाए
तो दिल को यकीन दिलाने में
कुछ देर तो लगती है।।

– सिद्धि लूंकड़, कवयित्री, हुब्बल्ली

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