पाटील ने कहा कि विशेषज्ञों की राय के अनुसार कोरोना की तीसरी लहर का प्रभाव बच्चों पर पड़ सकता है। जिले में कुपोषण से जूझ रहे 270 बच्चों के अभिभावकों को जानकारी देकर पोषणयुक्त खाद्य तथा उपयुक्त औषधि के बारे में जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी शिशु विकास अधिकारियों की है। शिशु विकास अधिकारियों को कुपोषित बच्चों के घर पहुंचकर अभिभावकों को समझाने की दिशा में हर संभव ठोस कदम उठाना चाहिए। स्वास्थ्य विभाग अधिकारियों की यह भी जिम्मेदारी है कि वे कुपोषित बच्चों के अभिभावकों को टीके लगावाएं। जिम्स अस्पताल के बच्चों के विशेषज्ञ डॉ. शिवनगौडर ने जिले में तथा जिम्स अस्पताल में बच्चों के इलाज के लिए उपलब्ध सुविधाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
जिलाधिकारी एम. सुंदरेश बाबू ने कहा कि बच्चों के इलाज के लिए चिकित्सकीय उपकरण, सुविधाओं व औषधि का प्रस्ताव सरकार को सौंपा गया है। जिले के प्रत्येक तालुक में बच्चों तथा वयस्कों के लिए अलग से देखभाल केंद्र स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं। देखभाल केन्द्र स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने प्रत्येक तालुक में बच्चों के इलाज के लिए अस्पताल में पंद्रह बिस्तर सुरक्षित रखने को कहा। जिला पंचायत कार्यकारी भरत एस, जिला पुलिस अधीक्षक यतीश एन., अतिरिक्त जिलाधिकारी सतीश, कुमार एम., उपविभागीय अधिकारी रायप्पा हुणसगी सहित कई उपस्थित थे।