केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के मिशन लाइफ के तहत मनरेगा परियोजना में सुधार कर जलसंजीवनी कार्यक्रम लागू किया जा रहा है। आपदा प्रबंधन और गौ विकास अभियान, बायोगैस अभियान, निष्क्रिय बोरवेल पुनर्जीवित अभियान, हरित झील अभियान, करोड़ वृक्ष अभियान (हरियाली), ये पांच अभियान हैं।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुरेश इटनाल ने बताया कि जिले में 194 गोचर विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है, इतने गोचर नहीं मिले हैं। चन्नगिरी तालुक में 3, दावणगेरे तालुक में 7, हरिहर, न्यामती और होन्नाली में 2-2, जगलूर में 9 समेत 25 स्थानों को पहले ही चिह्नित किया गया है। ।
हरित झील अभियान उन्होंने कहा कि प्रत्येक तालुक में एक के हिसाब से हरित झील बनाने का लक्ष्य है। हरिहर को छोडक़र हर तालुक के लिए एक हरित झील का निर्माण किया जाएगा। पहले से ही अमृत झीलें लागू की जा रही हैं। नई अवधारणा के साथ मिट्टी, पत्थर और पौध रोपन के जरिए पर्यावरण के अनुकूल तरीके से विकसित की जाएंगी।
कोटि वृक्ष (करोड़ वृक्ष) अभियान के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत में 1700 पौधे लगाने की योजना बनाई गई है, जिसमें 4,33,806 पौधे लगाने और कम से कम 3,29,800 पौधे लगाने का लक्ष्य है। पौधे लगाना बहुत मुश्किल नहीं है। कोटि वृक्ष अभियान के तहत पौधे लगाने की तैयारी की गई है।
388 बायोगैस संयंत्र निर्माण करने का इरादा प्रति पंचायत के लिए कम से कम 2 बायोगैस संयंत्र विकसित करने का विचार है, इस कार्य के लिए 50 प्रतिशत राशि मनरेगा योजना के तहत दी जाएगी और 50 प्रतिशत राशि किसानों को ही वहन करनी होगी। जहां भी मांग होगी, ये काम हाथ में लिए जाएंगे। कुल 388 बायोगैस संयंत्र निर्माण करने का इरादा है। इसका उद्देश्य मवेशी शेड के पैकेज के साथ-साथ व्यक्तिगत कार्यों को लागू करके रसोई गैस में आत्मनिर्भरता हासिल करना है। सरकार ने काम पूरा करने के लिए 10 अगस्त की डेडलाइन दी है। सुरेश इटनाल ने कहा कि प्रति पंचायत 5 बंद, निष्क्रिय बोरवेल को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया गया है, जिन क्षेत्रों में भूजल स्तर घटा है, उनका चयन किया जाएगा। जिले में कुल 970 बोरवेलों को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य है और इन्हें क्रियान्वित करने के प्रयास किए जाएंगे।