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हुबली

कैदियों की तिकड़म के आगे सुरक्षा फेल

जेल में मोबाइल फोन, गांजा, 7 महिने में 5 मामले दर्जजेल में रहकर ही कुख्यात उपद्रवी ने की मोबाइल पर बातचीतजेल की दीवार के पीछे घास में मिला गांजा का पैकेट

हुबलीFeb 12, 2024 / 09:15 pm

Zakir Pattankudi

कैदियों की तिकड़म के आगे सुरक्षा फेल

कैदियों की तिकड़म के आगे सुरक्षा फेल

हुब्बल्ली. धारवाड़ के सेंट्रल जेल में जेल कर्मियों के साथ औद्योगिक सुरक्षा बल का पहरा है। इसके बाद भी मोबाइल फोन, गांजा जैसे प्रतिबंधित पदार्थ जेल की दीवारों को पार कर कैदियों के लिए संचार सुविधा के साथ-साथ नशे की लत का कारण बन रहे हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र में चर्चा हो रही है कि जेल में सभी सुविधाएं सुलभ तौर पर मिलती हैं, इसे पुष्टि देने वाली प्रतिबंधित पदार्थ जेल में मिले हैं। 1 जुलाई 2022 से 4 फरवरी 2023 तक महज सात महीने में 9 मोबाइल, 4 सिम कार्ड, 1 गांजा पैकेट, 1 चार्जर, एक 8 जीबी एसडी कार्ड मिले हैं। इस संबंध में पुलिस थाने में पांच मामले दर्ज हुए हैं।
बेंगलूरु सीसीबी पुलिस ने छापेमारी कर जांच की
बेलगावी जिले के भीमनगौड़ा परगोंड के आरटीआई आवेदन पर जेल विभाग के अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। इसके चलते जेल के भीतर प्रतिबंधित पदार्थों की आपूर्ति कैसे की जा रही है? इस बारे में बड़ी चर्चा को जन्म दिया है। एक कुख्यात उपद्रवी के जेल में रहने के दौरान मोबाइल फोन के जरिए बातचीत करने की सूचना के आधार पर बेंगलूरु सीसीबी पुलिस ने छापेमारी कर जांच की है। इस बारे में बेंगलूरु कलासिपाल्या पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है।
जेल के अंदर प्रतिबंधित वस्तुएं कैसे पहुंचीं?
जेल में मोबाइल, नशीले पदार्थ सहित कुछ वस्तुओं पर सख्त प्रतिबंध लगाया गया है। जेल में प्रवेश करने वाले जेल विभाग के अधिकारियों, कैटरिंग स्टाफ समेत सभी को औद्योगिक सुरक्षा बल के कर्मचारियों की ओर से जांच करने के बाद ही अंदर जाने दिया जाता है। इनसब के बाद भी जेल के अंदर प्रतिबंधित वस्तुएं कैसे पहुंचीं? यह सवाल बना हुआ है। इसके चलते यह संदेह पैदा हो रहा है कि कैदियों से मुलाकात के लिए आने वाले परिजनों, विभिन्न जेलों में आने वाले श्रमिकों या कर्मचारी ही इन वस्तुओं को जेल के अंदर ले जाने में मदद कर रहे होंगे।
जेल में ही भारी भरकम भोजन
विशेषज्ञों का कहना है कि धारवाड़ सेंट्रल जेल की पश्चिमी दीवार के पीछे घास में गांजा का एक पैकेट मिला। सेल में पैकिंग वाले मोबाइल भी मिले हैं। इसी तरह कैदियों को बाहर से भारी भरकम भोजन व्यवस्था कराने की चर्चा होने के बाद भी इस संबंध में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है। इसके चलते इस संदेह की पुष्टि होती है कि जेल के अंदर अमीरों और रसूखदारों को राज मर्यादा मिलने की शिकायतें सच हैं। कुछ भी हो, जेल तो जेल ही होनी चाहिए। यह महल नहीं होना चाहिए। इसे अपराधियों का मन सुधारने का केंद्र होना चाहिए।
प्रतिबंधित वस्तुएं पहुंचाने की अनुमति ही नहीं
औद्योगिक सुरक्षा बल के जवानों के काम से संतुष्ट नहीं हैं। यह मामला वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया है। कैदियों के रिश्तेदार बाहर से दीवार लांघ कर प्रतिबंधित वस्तुएं अंदर फेंक रहे हैं। ऐसी वस्तुओं का पता लगाकर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की गई है। गेट के जरिए प्रतिबंधित वस्तुएं पहुंचाने की अनुमति ही नहीं है।
एम.ए. मरिगौडर, अधीक्षक, धारवाड़ सेंट्रल जेल

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