scriptशिक्षा पाना इतना नहीं आसान…लंबे रास्ते हैं और पैदल ही जाना है | student has to walk a long distance to reach school | Patrika News
हुबली

शिक्षा पाना इतना नहीं आसान…लंबे रास्ते हैं और पैदल ही जाना है

स्कूल पहुंचने के लिए लम्बी दूरी पैदल तय करने को मजबूर विद्यार्थी
उत्तर कन्नड़, बेलगावी, धारवाड़, गदग जिले के कई गांवों में विद्यार्थियों को परेशानी
वन क्षेत्र से गुजरते समय जंगली जानवरों का भी रहता है डर

हुबलीSep 08, 2021 / 07:30 pm

MAGAN DARMOLA

शिक्षा पाना इतना नहीं आसान...लंबे रास्ते हैं और पैदल ही जाना है

शिक्षा पाना इतना नहीं आसान…लंबे रास्ते हैं और पैदल ही जाना है

हुब्बल्ली. पहाड़ी क्षेत्रों से घिरे उत्तर कन्नड़ जिले के कई तालुकों के विद्यार्थियों और बेलगावी जिले के खानापुर तालुक के कई गांवों के विद्यार्थियों के साथ ही धारवाड़ जिले के अलनावर व गदग जिले के नरगुंद के सीमावर्ती गांव लखमापुर के विद्यार्थियों को आज भी स्कूल व कॉलेज पहुंचने के लिए लम्बी दूरी पैदल ही तय करना पड़ती है।

मारुगद्दे तथा मक्कीगद्दे के 40 से अधिक विद्यार्थियों को प्रतिदिन उत्तर कन्नड़ जिले के अंकोला तालुक के अगसूरु माध्यमिक विद्यालय पहुंचने के लिए आठ दस किमी की दूरी प्रतिदिन तय करनी पड़ती है। कारवार तालुक के केरवडी, नगे, कोवे, निर्पालु गांव के विद्यार्थी आज भी विद्यालय पहुंचने के लिए कई किमी की दूरी पैदल ही तय करने के लिए मजबूर हैं। चंदावर से आने वाले कुमटा के संतेगुली में स्थित उर्दू विद्यालय पहुंचने के लिए विद्यार्थियों को प्रतिदिन गांव से विद्यालय तक की दूरी पैदल ही तय करना पड़ रहा है।

अथणी तालुक के तेलसंग में स्थित डिग्री कालेज पहुंचने के लिए कन्नाल के विद्यार्थियों को 4 किमी., बन्नूर के विद्यार्थियों को 6 किमी., हालल्ली के विद्यार्थियों को 6 किमी, फडातरवाडी के विद्यार्थियों को 4 किमी तक की दूरी साइकिल या दुपहिया वाहन पर ही तय करनी पडती है।

जिनके पास दुपहिया वाहन या साइकिल नहीं है वे पैदल ही आते हैं। चिक्कोड़ी शहर से तीन कि मी की दूरी पर स्थित सरकारी कॉलेज पहुंचने के लिए बस की व्यवस्था नहीं है। धारवाड़ जिले के अल्नावर तालुक के किवडबैल तथा दूपेनट्टी गांव के बच्चों को भी विद्यालय पहुंचने के लिए 4 किमी तक का मार्ग पैदल ही तय करना पड़ता है। इस गांव के कई बच्चों ने स्कूल ने निकट रहने वाले रिश्तेदारों के घर में पढ़ाई के लिए शरण ले रखी है। कुछ विद्यार्थी छात्रावास में रह रहे हैं।

रास्ते में जंगली जानवर

मुंडगोड तालुक के चडवल्ली ग्राम पंचायत के अंतर्गत स्थित ब्यानल्ली गांव के विद्यार्थियों को अंदलगी माध्यमिक विद्यालय पहुंचने के लिए प्रतिदिन तीन किमी तक की दूरी पैदल ही तय करनी पड़ती है। यह क्षेत्र वन क्षेत्र होने की वजह से कभी-कभी जंगली हाथी व जंगली जानवर भी विद्यार्थियों को दिख जाते हैं। कर्नाटक राज्य परिवहन निगम संस्थान के अध्यक्ष वीएस पाटील का स्वग्राम अंदलगी के निकट ही है।

बस तक पहुंचने के लिए 4-5 किलोमीटर पगडंडी का सफर

सिद्दापुर तालुक लंबापुर, हेग्गरणी क्षेत्र के कुछेक प्राथमिक विद्यालय के कई विद्यार्थियों को प्रतिदिन 5-6 किमी की दूरी तय करना पड़ता है। कई विद्यार्थी 10-15 किमी की दूरी पर स्थित विद्यालय साइकिल पर ही पहुंचते हैं। बेलगावी जिले के खानापुर तालुक के वन सीमा क्षेत्र के गांव गव्वाली, कोंगला, देगांव, अबनाली, डोंगरगांव, मान, सदा, होंबल, पाली, वर्कड, मोहिसेत सहित 50 से अधिक गांवों में प्राथमिक विद्यालय हैं। इन विद्यालयों में प्राथमिक कक्षा तक की पढ़ाई पूर्ण करने के उपरांत विद्यार्थियों को आगे की शिक्षा अर्जित करने के लिए अपने गांव से प्रतिदिन 4 से 8 किमी की दूरी तय करना पड़ता है। यहां के विद्यार्थी कणकुंबी, जांबोटी, शिरोली, लोंडा गांव में स्थित माध्यमिक विद्यालय तक की दूरी पैदल ही तय करने पर यहां के विद्यार्थी मजबूर हैं।

कॉलेज की पढ़ाई के लिए विद्यार्थियों को नंदगड, खानापुर, बेलगावी या उत्तर कन्नड़ जिले के रामनगर जाना पड़ता है। प्रतिदिन 4-5 कि मी की दूरी तय करना पड़ता है। प्रमुख मार्ग से ही बस की व्यवस्था होने की वजह से यहां के विद्यार्थियों को प्रमुख मार्ग तक पहुंचने के लिए 4-5 किमी तक का सफर करना पड़ता है। इनमें अनुसूचित जाति तथा जनजातीय विद्यार्थियों के लिए छात्रावास की सुविधा उपलब्ध है। कई जगह पर कॉलेज के समय व विद्यार्थियों के समय में समायोजन न होने की वजह से उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

Home / Hubli / शिक्षा पाना इतना नहीं आसान…लंबे रास्ते हैं और पैदल ही जाना है

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो