बाढ़ से कृष्णा नदी में भरपूर पानी आयाबेलगावीनिरंतर दो सालों तक हुई बारिश, बाढ़ ने कृष्णा नदी के दायरे में स्थित महाराष्ट्र तथा कर्नाटक के जलाशयों में पानी की किल्लत दूर की है परंतु बांधों में आए अतिरिक्त पानी की वजह से लोगों में दहशत फैली है। कर्नाटक व महाराष्ट्र सरकार बांधों में जल स्तर बढऩे से पहले ही बांध की क्षमता के बारे में एहतियात बरत रही है। अनहोनी को रोकने की दिशा में सभी आवश्यक ठोस कदम दोनों सरकारों की ओर से उठाया जा रहा है।बांध में पर्याप्त पानी संगृहीत होने की वजह से इस साल पानी की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ा। कोरोना की संकट की घड़ी में पानी के लिए महाराष्ट्र के सामने झोली फैलाने की नौबत नहीं आई। कृष्णा नदी में पर्याप्त पानी होने की वजह से जनता ने सरकार के समक्ष किसी प्रकार की पानी की मांग नहीं रखी।प्राप्त आंकडे के अनुसार कृष्णा नहर के अंतर्गत स्थित महाराष्ट्र के कोयना, वारणा सहित 12 से अधिक जलाशयों में इतना अधिक पानी भी नहीं है कि लोग भयभीत हो जाए। बीस जलाशयों की पानी संग्रह करने की क्षमता 276 टीएमसी है जिनमें 75 टीएमसी पानी संगृहीत हुआ है।कहीं राहत, कहीं भयकई जलाशयों में पानी पर्याप्त होने से लोगों को राहत है वहीं कहीं बांधों में चादर चलने की आशंका से नदी किनारे रहने वाले लोग भयभीत हैं।हर साल कर्नाटक जिले को भयभीत करने वाले कोयना बांध की पानी संगृहीत करने की क्षमता 105 टीएमसी है जिसमें वर्तामान में 28 टीएमसी पानी है। कुल चौंतीस टीएमसी की क्षमता वाली वारणा जलाशय में 13 टीएमसी पानी संगृहीत है। इसी प्रकार कर्नाटक के चार प्रमुख जलाशय आलमट्टी, हिडकल, मलप्रभा तथा नारायणपुर जलाशय में 65 टीएमसी पानी संगृहीत है।आलमट्टी बांध की पानी संग्रहीत करने की क्षमता 123 टीएमसी है जिसमें 23 टीएमसी पानी संग्रहीत है कुल 33.3 टीएमसी पानी संग्रहीत करने की क्षमता वाली नारायण जलाशय में 20.82 टीएमसी पानी संग्रहीत हुआ है। बीते दो साल से बेलगावी तथा बागलकोटे जिले को हानि पहुचाने वाले हिडकल बांघ में इस समय 4.904 टीएमसी (कुल क्षमता 51 टीएमसी) तथा मलप्रभा बांध में 9.826 टीएमसी (कुल क्षमता 37 टीएमसी) पानी संग्रहीत हुआ है। इस स्थिति में पानी की किल्लत नहीं होगी। बांध में जलस्तर बढने की वजह से नदी किनारे बसे गांव की जनता को बाढ़ का डर सताए जा रहा है। सरकार की ओर से एहतियाती के ठोस कदम उठाए जाने की वजह से लोग राहत की सांस ले रहे हैं।हर साल कर्नाटक को अधिक हानि पहुंचाने वाले महाराष्ट्र के कोयना, राधानगरी, वारणा सहित विभिन्न बांधों में 30 प्रतिशत तक पानी संग्रह हुआ है। इन जलाशयों में 80 प्रतिशत पानी संगृहीत होने के बाद ही कृष्णा नदी में पानी छोड़ा जाएगा।इनका कहना हैलगातार दो सालों तक अच्छी बारिश होने से महाराष्ट्र के सभी बांध भरने की वजह से पानी छोड़ा गया। कृष्णा नदी में आई बाढ़ की वजह से काफी नुकसान हुआ था। पानी छोडऩे जैसे मामले में महाराष्ट्र के साथ पहले से ही संपर्क साधा गया था जिसकी वजह से बड़े पैमाने पर नुकसान होने से बचा लिया गया–[typography_font:14pt;” >अरविंद कणगिल, मुख्य इंजीनियर कर्नाटक सिंचाई निगम