इन तालाबों का रिकार्ड समय में पुनरुत्थान
कुष्टगी तालुक के निडशेशि, कोप्पल तालुक के गिणगेरा, कल्लतावरगेरा तथा हिरेहल्ला को सार्वजनिक सहभागिता तथा शहर के उद्योगों के सहयोग से गविमठ के अभिनव गविसिध्देश्वर स्वामी ने रिकार्ड समय में पुनरुत्थान कर सफलता प्राप्त की है। इस बार अधिक मानसून की बारिश से तालाब में पानी आया है।इन तालाबों के लिए तुंगभद्रा जलाशय से पाइपलाइन के जरिए पानी लाना है। बारिश पर निर्भर इस क्षेत्र में तालाब अधिक महत्व प्राप्त किया है। शहर के लोगों का कहना है कि इनके विकास को अधिक प्राथमिकता देनी चाहिए। चुनाव के दौरान तालाब में पानी लाना वोट बटोरने का मुद्दा बना है।
इन तालाबों के लिए हुए आंदोलन
हनुमसागर राजस्व केंद्र के हनुमसागर, काटापुर, कब्बरगी, बीलगी, होसहल्ली आदि तालाबों को भरने की योजना क्रियान्वयन के लिए लगातार आंदोलन हुए हैं। शहर के तालाब बारिश नहीं होने से सूखे हैं। तालाब लोगों की जीवनरेखा हैं। भू-जलस्तर घटने से पेयजल के भी लाले पड़े हैं। बारिश होने से जनता, मवेशियों के लिए समस्या हुई है। हनुमसागर के उत्तर भाग के पहाड़ी के निचले स्थित तालाब तथा दक्षिण भाग के तालाब भरवाने का दबाव सरकार पर है।बढ़ती जा रही है योजना की लागत
तुंगभद्रा, कृष्णा तथा सिंगटालूर लिफ्ट सिंचाई से जिले के चार तालुक के 104 तालाब भरने वाली योजना के लिए 1527 करोड़ रुपए प्रस्ताव सौंपा गया है। निर्धारित अवधि में योजना पूरी नहीं कर यथावत है। अकाल प्रभावित जिले की जनता पानी की कमी को समझकर सरकार तालाब भरने की योजनाओं को शुरू किया था। कुछ योजना शुरू करने के कार्य आदेश देने पर भी 95 प्रतिशत कार्य निर्धारित अवधि में नहीं चलने से योजना की लागत बढ़ती जा रही है। वृहद सिंचाई तथा लघु सिंचाई और भूजल स्तर वृध्दि विभाग की ओर से प्रस्ताव सौंपा गया है। कुछ तकनीक, राजनीतिक बाधाओं से यह योजनाएं जिले में उम्मीद के स्तर पर सफलता हासिल नहीं करने से फायदा और नुकसान की समीक्षा को मजबूर है।चौदह वर्ष में सिर्फ दो बार भरा तालाब
तावरगेरा के समीप पुर गांव में तालाब निर्माण हुए 14 वर्ष बीत चुके हैं परन्तु वह केवल दो बार मात्र भरा है। वर्ष 2005-06 में लघु सिंचाई विभाग ने 32 करोड़ रुपए लागत में इस तालाब का निर्माण किया है। यह 144.29 मिलियन क्यूबिक फीट पानी संग्रह क्षमता है। वर्ष 2009 में यह तालाब पहली बार भर कर चादर चली थी। 14 वर्ष बाद इस वर्ष भरा है।चूहों से सुरक्षा दीवार को खतरा
तालाब निर्माण से कन्नाल तथा पुर गांवों के किसान 673 हेक्टेयर जमीन डूबी है परन्तु इस भाग के किसानों को सिंचाई मात्र गायब हुई है। समय पर रखरखाव, छुटपुट मरम्मत औपचारिकता से हुए हैं। सुरक्षा दीवार में दरार पड़ी है। गिरने के स्तर पर है। तालाब की अवरोधक दीवार पर कांटेदार झाडिय़ां उगी हैं। चींट, चूहे, घोरपड के बिल बने हैं। यह तालाब क्षेत्र के अवरोधक दीवार को खतरा बनने की खतरा बने हैं। जिले के निवासियों का कहना है कि जिले में तालाब में पानी भरने की योजना बेहद महत्वाकांक्षी योजना है। इस दिशा में जिला प्रशासन, जिला प्रभारी मंत्री को गंभीर प्रयास करना चाहिए।