हवाई टिकट की पेशकश
बेंगलुरु की एक प्रमुख निर्माण फर्म के कॉन्ट्रेक्टर्स (ठेकेदारों) में से एक ने हैदराबाद में एक परियोजना पर काम करने के लिए बिहार से 10 कारपेंटर (बढ़ई) वापस लाने के लिए फ्लाइट टिकट की व्यवस्था की। वहीं हैदराबाद की एक निर्माण कंपनी ने पटना से 10 बढ़इयों को बुलाने के लिए विमान टिकट देने की पेशकश की है। बेंगलुरु की इस कंपनी की तीन-तीन परियोजनाएं हैदराबाद से चल रही हैं। पहले यहां 2,000 श्रमिक काम करते थे, लेकिन अब 700 ही रह गए हैं। रियल इस्टेट नियामक रेरा ने ऐसी परियोजनाओं की समय सीमा तो बढ़ा दी है, लेकिन उन जैसी कुछ कंपनियां इसे तय समय में ही पूरा करना चाहती हैं।
सारे इंतजाम का भरोसा
परियोजनाओं के पूरा होने में देरी के कारण उन्हें होने वाले नुकसान से चिंतित कंपनियां श्रमिकों को वापस लाने के लिए अतिरिक्त रुपये खर्च करने के लिए भी तैयार हैं। लॉकडाउन के दौरान कुछ प्रमुख कंस्ट्रक्शन कंपनियों ने निर्माण स्थलों या अन्य स्थानों पर प्रवासी श्रमिकों के रहने की सभी व्यवस्था की। उन्हें भोजन, चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के साथ ही उनकी अ’छी तरह से देखभाल की जिम्मेदारी संभाली।
मजूदरी में इजाफा
आंध्र प्रदेश की एक सिंचाई परियोजना से जुड़ी एक कम्पनी ने न श्रमिकों को बुलाने के लिए न सिर्फ मजदूरी की राशि में बढ़ोतरी की बल्कि उन्हें विशेष ट्रेनों से बुलाने की व्यवस्था करने पर भी विवश होना पड़ा। पोलावरम परियोजना में काम करने वाले 1,200 श्रमिक पिछले महीने लॉकडाउन के बाद अचानक घर चले गए। इन श्रमिकों को लाने के लिए निर्माणधीन कंपनी को काफी पापड़ बेलने पड़ गए।