मामला तेलंगना राज्य कर विभाग से जुड़ा है। राज्य के जीएसटी अफसर ने 2020 में सत्यम शिवम पेपर्स पर कार्रवाई करते हुए माल परिवहन में ई-वे बिल की अवधि समाप्त होने के मुद्दे पर पेनल्टी लगाई थी। साथ ही माल जब्त करके विभाग द्वारा तय स्थान पर नहीं रखते हुए अपने किसी परिचत के यहां रखवा दिया था। फर्म ने इस मामले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। जिस पर तेलंगना हाई कोर्ट ने पेनल्टी समाप्त करते हुए तेलंगना जीएसटी विभाग के अधिकारी पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। जीएसटी अफसर ने आदेश को शीर्ष कोर्ट में चुनौती दी थी। जिस पर जस्टिस दिनेश माहेश्वरी व जस्टिस ऋषिकेश राय ने सुनवाई कर फैसला दिया है।
वरिष्ठ अभिभाषक गिरीश पटवर्धन के अनुसार कोर्ट ने कहा, जिस तरह से मामले के तथ्य रखे गए हैं, उससे कर अपवंचन की मंशा साबित नहीं हो रही है। फर्म द्वारा देरी के संबंध में दिए गए तर्क की वस्तुस्थिति देखे बिना अस्वीकार करना भी उचित नहीं है। कोर्ट ने इस पर राज्य से ही सवाल किया, क्या वह ट्रैफिक व्यवधान रहित माल परिवहन व्यवस्था दे सकती है? कोर्ट ने अधिनियम की धारा 129 के तर्क को भी उचित नहीं माना। पटवर्धन के अनुसार फैसला कई मायनों में महत्वपूर्ण है। कोर्ट द्वारा जीएसटी अधिनियम के व्यावहारिक पक्ष को सामने रखते हुए निर्णय दिया है। इससे आने वाले समय में माल परिवहन के मामलों में राहत मिलेगी।