scriptपुलिस कमजोर हो तो कोई भी डराएगा | If the police are weak, then nobody will scare | Patrika News
इंडियन रीजनल

पुलिस कमजोर हो तो कोई भी डराएगा

रसूखदारों का शोर सुनकर दुबक जाने वाली शहर की पुलिस अचानक डीजे का शोर सुनकर जाग उठी। इसे पुलिस की सख्ती मान रहे हैं तो गलतफहमी में हैं।

भिलाईFeb 24, 2018 / 01:21 pm

Nitin Tripathi

CG Police

भिलाई@Patrika. रसूखदारों का शोर सुनकर दुबक जाने वाली शहर की पुलिस अचानक डीजे का शोर सुनकर जाग उठी। आप इसे कानून का पालन या पुलिस की सख्ती मान रहे हैं तो आप गलतफहमी में हैं। ऐसा कुछ नही है, दरअसल डीजे बजाने वालों का नए पुलिस अफसर से विवाद हो गया था। इसके बाद पुलिस का स्वाभिमान जाग गया और कानून का डंडा चला दिया गया। इस बात पर जरूर खुश हो सकते हैं कि नए अफसर ने डीजे के शोर पर आपत्ति जताने की हिम्मत तो जुटाई, वरना ऐसे कई उदाहरण हैं जब पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था के बीच डीजे का शोर मचता रहा। इससे पहले पुलिस ने अपने ही एक सिपाही के घर की शादी में डीजे बजाने पर कार्रवाई की थी। अपने ही महकमे वाले को भी कानून तोडऩे की गलती का अहसास कराया तो आम शहरी को लगा कि पुलिस जिम्मेदार हो गई, लेकिन वही पुलिसकर्मी सोचता होगा कि मेरे विरुद्ध सख्ती दिखाने वाले साहब को बड़े लोगों के सामने कौन सा जंग लग जाता हैै? इस पुलिस को उस वक्त क्यों सांप सूंघ गया, जब डीजे का शोर मचाने वालों ने समाज का जामा पहन लिया? शहर की सड़कों पर कानून को रौंदा गया, नियमों के पालन का आदेश डीजे के शोर में ही दबा दिया गया। हमारे जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी भी मालूम करके कार्रवाई करने का जुमला दोहराते रहे, पुलिस के बड़े-बड़े अफसर भी मिमियाते नजर आए। जैसा कि होता रहा है, वैसा ही हुआ। रात गई बात गई कि तर्ज पर सब भुला दिया गया। यह सब बताने का उद्देश्य किसी को नीचा दिखाना नहीं बल्कि शहर में सु-व्यवस्था स्थापित कराने में पुलिस-प्रशासन का ध्यान दिलाना है। जिस मामले में कार्रवाई की गई उसमें भी बड़े नेताओं का नाम लेकर पुलिस को डराने की कोशिश की गई। अब सोचकर देखिए, कि ऐसा क्यों हुआ? सच कड़वा है मगर उसे बदला नहीं जा सकता। प्रशासन की नाकामी और रसूख के आगे घुटने टेकने वाली पुलिस को तो कोई भी डराने की कोशिश करेगा। सबको मालूम हो चुका है कि पुलिस और प्रशासन को दबदबा दिखाया जा सकता है, नेताओं के संरक्षण में पलने वाले समाजकंटकों के सामने पुलिस को सांप सूंघ जाता है। छोटे-छोटे लोगों पर कार्रवाई करके सिर्फ रोजनामचा भरा जा सकता है, कानून व्यवस्था बनाने के लिए कोई बड़ा काम करना होगा। कानून की शक्ति याद दिलाने कोई जामवंत नहीं आएंगे। पुलिस को अपना कत्र्तव्य खुद पहचानना होगा। पुलिस कानून तोडऩे वाले किसी रसूखदार को सबक सिखाएगी, तभी नियम का उल्लंघन करने वालों में भय आएगा। व्यवस्था बेहतर होगी, पुलिस और प्रशासन का सम्मान भी होगा।

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