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स्वास्थ्य अधिकारियों की उदासीनता, उप स्वास्थ्य केन्द्र बना एएनएम का आशियाना

सरगुजा जिले का एक ऐसा अस्पताल जो मरीजों के लिए नहीं बल्कि मितानिन के रहने के लिए बना है। एएनएम ने उप स्वास्थ्य केन्द्र जोरी में १-२ साल से नहीं बल्कि ३० वर्षों से कब्जा कर रखा है। वहां के स्थानीय मरीजों को उप स्वास्थ्य केन्द्र का लाभ नहीं मिल पाता है इस स्थिति में लोगों को १० से १५ किमी दूर धौरपुर जाना पड़ता है।गौरतलब है कि बेहतर स्वास्थ सुविधा मुहैया कराने प्रदेश सरकार तमाम कवायद कर रही है।

Feb 04, 2023 / 07:35 pm

Ashok Kumar Vishwakarma

sub health center

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अंबिकापुर। सरगुजा जिले का एक ऐसा अस्पताल जो मरीजों के लिए नहीं बल्कि मितानिन के रहने के लिए बना है। एएनएम ने उप स्वास्थ्य केन्द्र जोरी में १-२ साल से नहीं बल्कि ३० वर्षों से कब्जा कर रखा है। वहां के स्थानीय मरीजों को उप स्वास्थ्य केन्द्र का लाभ नहीं मिल पाता है इस स्थिति में लोगों को १० से १५ किमी दूर धौरपुर जाना पड़ता है।
गौरतलब है कि बेहतर स्वास्थ सुविधा मुहैया कराने प्रदेश सरकार तमाम कवायद कर रही है।
पहुंच विहीन गांव तक अस्पताल खोले जा रहे हैं ताकि गरीब तबके के लोगों को सही इलाज मुहैया हो सके, लेकिन जिले के स्वास्थ्य अधिकारियों की लचर निगरानी के कारण स्वास्थ्य कर्मचारी अपनी मनमानी पर उतारू हैं और शासन की योजनाओं पर पलीता लगा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं सरगुजा जिले के लुण्ड्रा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत जोरी की। यहां सालों पहले लोगों को गांव में ही इलाज मिल सके इसके लिए उप स्वास्थ्य केंद्र खोला गया था ताकि बीमार पडऩे पर रात में लोगों को इलाज मिल सके, लेकिन उप स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ एएनएम पुष्प लता गुप्ता ने 30 सालों से अस्पताल में कब्जा कर रखा है।
इतने समय से एक जगह पर पदस्थ महिला स्वास्थ्यकर्मी ने अस्पताल को ही अपना घर बना लिया है। ग्रामीणों का कहना है कि सालों पहले गांव में भले ही उप स्वास्थ्य केंद्र अस्पताल खोल दिया गया है, लेकिन लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। सालों से पदस्थ एएनएम इस अस्पताल में डेरा जमाए हुए है।
अगर कोई मरीज या गर्भवती महिला अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचती है तो उसे धौरपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रेफर कर दिया जाता है, ताकि महिला स्वास्थ्यकर्मी का परिवार अच्छे से रह सके। उसके परिवार को कोई तकलीफ न हो। ऐसे में मरीज के परिजनों को घर बुलाने के अलावा और कोई चारा नहीं है, लेकिन महिला स्वास्थ्य कर्मी घर पर इलाज करने के बदले अनाज लेती है।

30 सालों से है पदस्थ
स्वास्थ्यकर्मी एएनएम पुष्पलता गुप्ता खुद ही बतातीं हैं कि उप स्वास्थ्य केंद्र में 30 सालों से रह रही हैं, लेकिन अब उप स्वास्थ्य केंद्र जर्जर हो चुका है। ऐसे में तमाम अधिकारियों को जानकारी देने के बाद और बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए का 6 बिस्तरीय पक्के का अस्पताल खोला जा रहा है। इसका मतलब यह है कि अब एएनएम पक्के के अस्पताल में रहेगी। ऐसे में ग्रामीणों का इलाज भगवान भरोसे पहले भी था अब भी रहेगा।

बीएमओ ने कहा- कब्जा नहीं नियम के तहत रहती है एएनएम
बीएमओ डॉ. इमरान का कहना है कि महिला उप स्वास्थ्य केन्द में कब्जा नहीं की है बल्कि पुराने समय का अस्पताल है और स्वास्थ्य कर्मचारी के रहने की भी व्यवस्था रही है। जबकि लोगों का कहना है कि छोटे से अस्पताल में अगर एएनएम का तीन से चार सदस्यों का परिवार ही रहने लगे तो मरीजों का उपचार कहां होगा।
उप स्वास्थ्य केन्द्र का आवास नहीं बना सकते। कर्मचारियों के लिए आवास अलग से रहता है। फिर भी अगर ऐसा है तो जांच के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया जाएगा।

टीएस सिंहदेव, स्वास्थ्य मंत्री, छग शासन
पुराना अस्पताल है, जो जर्जर हो चुका है। पास में ही ६ बिस्तर का नया पक्के का अस्पताल बन रहा है। एएनएम का कब्जा नहीं है।

डॉ. पीएस सिसोदिया, सीएमएचओ, सरगुजा

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