कोरीया

चलता-फिरता स्कूल: नीली छतरी वाले शिक्षक राणा के घंटी बजाते ही घरों से बाहर निकल आते हैं बच्चे, पढ़ाने का अंदाज भी बेमिसाल

Moving school: स्टूडेंट्स बोले- कोरोना काल में हमें नीली छतरी वाले गुरुजी पढ़ाने आते हैं, बरामदे में दूर-दूर बैठाकर पढ़ाते हैं हमें

कोरीयाSep 21, 2020 / 02:08 pm

rampravesh vishwakarma

Teachers Rana teach students

बैकुंठपुर. कोरिया मेंं कार्यरत रूद्र प्रताप सिंह राणा ने कोरोना संक्रमण काल में स्कूल में ताला लटकने, ऑनलाइन पढ़ाई कराने में नेटवर्क प्रॉब्लम होने का जबरदस्त तोड़ निकाला और मोटरसाइकिल को चलता-फिरता स्कूल (Moving school) बना लिया है।
मोटरसाइकिल में प्राइवेट मोबाइल कंपनी की छतरी, मिनी लाइब्रेरी, ग्रीन बोर्ड, घंटी, माइक बांधकर रोजाना 40 किलोमीटर सफर कर पांच मोहल्ला क्लास में 62 स्टूडेंट्स को पढ़ाने पहुंचते हैं। शिक्षक के इस कार्य की खूब सराहना हो रही है। (Moving school)

कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से करीब 70 किलोमीटर दूर ग्राम सकड़ा में प्राथमिक शाला संचालित है। यह कोरिया और पेंड्रा-मरवाही जिला का सरहदी इलाका है। प्राथमिक शाला में कार्यरत रुद्र प्रताप सिंह राणा ने कोरोना संक्रमण काल में स्कूल बंद होने के कारण बच्चों को शिक्षा देने नई तरकीब निकाली है।
शिक्षक राणा पेण्ड्रा-मरवाही जिले के ग्राम प्रारासी के निवासी हैं और अपनी मोटरसाइकिल से करीब 40 किलोमीटर सफर तय कर ग्राम सकड़ा पहुंचते हैं। प्राथमिक शाला के आसपास गुरच्वापारा, पटेलपारा, स्कूलपारा, बिहीपारा, मुहारीपारा में मोहल्ला क्लास में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं।
पांच मोहल्ला में 62 स्टूडेंट्स अध्ययनरत हैं और सभी मोहल्ला क्लास में अलग-अलग समय निर्धारित है। इससे शिक्षक राणा को नीली छतरी वाले गुरुजी के नाम से स्टूडेंट्स व ग्रामीण पहचानते हैं। वहीं स्टूडेंट्स बोले-हमको नीली छतरी वाले गुरुजी पढ़ाने आते हैं, हमको देहरी(बरामदे) में दूर-दूर बैठाकर पढ़ाते हैं, क्योंकि अभी स्कूल बंद है ना।

गुरुजी की घंटी बजते ही दौड़ लगाकर आ जाते हैं बच्चे दौड़
सहायक शिक्षक राणा रोजाना अपनी बाइक से मोहल्ला क्लास से पहले गली में खड़े होकर स्कूल जैसी घंटी बजाते हैं। इस दौरान मोहल्ले के बच्चे अपना बस्ता लेकर दौड़ जाते हैं और घर के बाहर बरामदे में अपनी-अपनी जगह में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर बैठक जाते हैं।
मोहल्ला क्लास में पढ़ाई कराने से पहले बकायदा स्कूल जैसा ही राष्ट्रगान गाकर प्रार्थना करते हैं। वहीं गुरुजी अपनी बाइक में ग्रीन बोर्ड बांधकर बीच गली में खड़े होकर माइक से पढ़ाते हैं। पढ़ाई को रोचक तरीके से समझाइने के लिए बीच-बीच में गीत गाते हैं।

शिक्षक को कुर्सी-छांव की जरूरत नहीं, छतरी के नीचे खड़े होकर लेते हैं क्लास
नीली छतरी वाले गुरुजी के नाम से प्रसिद्ध शिक्षक राणा का कहना है कि जिस दिन से मोहल्ला क्लास शुरू हुआ है। उस दिन से बच्चे भी बड़ी उत्सुकता से क्लास में शामिल हो रहे हैं। सही मायने में यह मोहल्ला क्लास बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचा रहा है और शिक्षा के नजदीक ला रहा है।
मेरा मोहल्ला क्लास गांव की लम्बी गली के बीच में संचालित होता है, जो चारों ओर से खुला है। बारिश, आंधी में बच्चे अपने घर के बाहर छज्जे के नीचे बैठ कर पढ़ते हैं और मैं गली के बीच में छाते के नीचे खड़ेे हो कर पढ़ाता हूं। यह छतरी मुझे धूप-बारिश से बचाता है। मोहल्ला क्लास में कुर्सी-छांव की जरूरत ही नहीं पड़ती है।

शिक्षक का पढ़ाई में नवाचार का प्रयोग सराहनीय
शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के लिए नए-नए नवाचार कर रहे हैं। बच्चों के सामने एक आकर्षक शाला प्रस्तुत की जाती है। बेहतर पढ़ाई का एक बेहतर माहौल बनाया गया है। शिक्षक राणा के नवाचार को देखकर अन्य शिक्षक जरूर जागरूक होंगे। उनका पढ़ाई में नवाचार का प्रयोग बेहतरीन व काबिलेतारीफ है।
जितेंद्र गुप्ता, सहायक विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी, खडग़वां
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