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इंदौर

भारतीय इंजीनियरों की जर्मनी में इसलिए बढ़ी डिमांड, जानिए वहां का वर्क कल्चर

भारत में इंजीनियरिंग कॉलेजों से हर साल हजारों युवा निकल रहे हैं, लेकिन इनके पास नौकरी नहीं है।

इंदौरSep 04, 2018 / 02:39 pm

amit mandloi

engineer

भारतीय इंजीनियरों को इसलिए पसंद आ रहा जर्मनी, जानिए वहां का वर्क कल्चर

इंदौर. भारत में इन दिनों इंजीनियरों की बाढ़ आई हुई है। इंजीनियरिंग कॉलेजों से हर साल हजारों युवा निकल रहे हैं, लेकिन इनके पास नौकरी नहीं है। जर्मनी में इन दिनों ऐसे इंजीनियरों की डिमांड बढऩे लगी है। शहर के युवाओं को इस बारे में जानकारी दे रहे जर्मनी में रहने वाले इंदौर के एक दंपत्ति से पत्रिका से इस बारे में चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारत से हर साल अब 10 हजार युवा पढ़ाई और काम के सिलसिलें में जर्मनी जा रहे हैं। इनमें दक्षिण और उत्तर के प्रदेशों के छात्रों की संख्या अधिक है।
धीरज शाह और उनकी पत्नी उर्वी ने बताया कि हम करीब 14 सालों से जर्मनी में रह रहे हैं। वहां एक ही बात देखी है कि गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु से बड़ी संख्या में भारतीय आ रहे हैं, लेकिन मध्यप्रदेश से वह संख्या बहुत कम है। इसका कारण है कि लोगों में अभी भी जर्मनी को लेकर बहुत से सवाल है। इसीलिए आज हम यहां पर जर्मनी की वर्क लाइफ, वहां की शिक्षा और वहां के रहन-सहन के बारे में बात कर रहे हैं।
जर्मनी की अर्थव्यवस्था मजबूत

वे बताते हैं कि जर्मनी में मध्यप्रदेश के खासकर इंदौर के लोगों की कमी को महसूस करते हैं। धीरज शाह ने बताया कि टेक्नोलॉजी में जर्मनी का नाम दुनिया में सबसे ऊपर आता है। जर्मनी विज्ञान और इंजीनियरिंग में बहुत आगे हैं। इसीलिए वहां की अर्थव्यवस्था भी बहुत अच्छी है। आज के समय की बात करें तो जर्मनी को टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में युवाओं की जरूरत है। इसीलिए कई विश्वविद्यालय अंग्रेजी में कई कोर्स शुरू कर रहे हैं। साथ ही वहां पढऩे के लिए युवाओं के वीजा की कई कठिनाइयां भी वहां की सरकार दूर कर रही है। धीरज शाह और उर्वी शाह इसी मकसद से इंदौर में सेमिनार को संबोधित कर रहे थे, ताकि यहां से बड़ी संख्या में युवा और लोग जागरुक होकर जर्मनी जाएं।
जर्मनी में आसान है वर्किंग लाइफ

उन्होंने यह भी बताया कि वहां की वर्किंग लाइफ बहुत सरल और आसान है। 8 घंटे लोग काम करते हैं। हालांकि वहां काम की शुरुआत बहुत जल्दी हो जाती है और लोग पूरी शाम अपने परिवार या बच्चों के साथ बिताना पसंद करते हैं। वहां एक्स्ट्रा काम जैसा कुछ नहीं होता है। उनके लिए काम का मतलब सिर्फ काम है और परिवार का मतलब परिवार। वहां के लोग काम के समय सिर्फ काम को महत्व देते हैं और घर में आते ही अपने परिवार को। सेमिनार में मैनेजमेंट से लेकर इंजीनियरिंग और अंडर ग्रेजुएट के कई छात्रों के अलावा बिजनेस में रुचि रखने वाले लोग भी शामिल हुए।

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