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इंदौर

शाम को मां से लोरी सुनी, सुबह दहलीज छोड़ गुरु के पास पहुंचे…और 10 साल के सिद्धम हो गए मुनि चंद्रसागर महाराज

परिवार के साथ आखिरी शाम से संत बनने का सफर: हिंकारगिरी में 6.30 घंटे चला दीक्षांत समारोह, नृत्य करते दीक्षा लेने पहुंचे सिद्धम

इंदौरMay 16, 2022 / 01:10 am

Mohammad rafik

शाम को मां से लोरी सुनी, सुबह दहलीज छोड़ गुरु के पास पहुंचे...और 10 साल के सिद्धम हो गए मुनि चंद्रसागर महाराज

शाम को मां से लोरी सुनी, सुबह दहलीज छोड़ गुरु के पास पहुंचे…और 10 साल के सिद्धम हो गए मुनि चंद्रसागर महाराज

इंदौर. झाबुआ निवासी 10 वर्षीय सिद्धम कुमार रविवार को साढ़े 6 घंटे की दीक्षा प्रक्रिया के बाद मुनि चंद्रसागर महाराज बन गए। आचार्य जिनचंद्र सागर सूरीश्वर महाराज के सान्निध्य में आयोजित 8 दिवसीय दीक्षांत समारोह में हिंकारगिरी की नवकार वाटिका में दीक्षा प्रदान की गई। समारोह रविवार सुबह 8 बजे शुरू हुआ। सबसे पहले सिद्धम ने 1 घंटे प्रतिक्रमण किया। इसमें उन्होंने अब तक के जीवन में किए पाप कर्मों के लिए क्षमा मांगी। इसके बाद मंदिर में स्नात्र पूजा की गई। उधर, शनिवार को सिद्धम ने परिवार के साथ अंतिम शाम बिताई। इस दौरान उन्होंने केक काटा, बहनों से राखी बंधवाई और मां से लोरी सुनी। बालक सिद्धम का परिवार के साथ अंतिम सांसारिक भोज हुआ। भोज में सिद्धम ने अपनी पसंद का केक काटा और मां प्रियंका जैन और अन्य रिश्तेदारों को खिलाया। सिद्धम को अलग-अलग तरह के ज्यूस भी पिलाए गए। रविवार सुबह उनसे घर की दहलीज छुड़ाई गई। वे गुरु के पास पहुंचे और संत पथ पर अग्रसर हुए।
लुटाई सांसारिक वस्तुएं

आयोजन स्थल के मंदिर से पंडाल तक वर्षीदान यात्रा में सिद्धम ने एक बार फिर श्रद्धालुओं के बीच सांसारिक वस्तुएं लुटाईं। पंडाल में प्रवेश के बाद दीक्षा का क्रम शुरू हुआ। दीक्षा के स्त्रोत का आशय आचार्य जिनचंद्र सागर सूरीश्वर महाराज और गणिवर्य आनंदचंद्र सागर महाराज ने स्पष्ट किया। मंत्र उच्चारण के बाद आचार्य द्वारा भगवान के सामने बालक को रजोहरण दिया गया। इस पर सिद्धम आधे घंटे तक पंडाल में नृत्य करते रहे। उनके साथ श्रद्धालु भी नाच रहे थे। इसके बाद उनके कपड़े बदले गए और इस जीवन का अंतिम स्नान कराया गया। विजय तिलक कर केश लोच हुआ। बास्केटबॉल काॅम्प्लेक्स में सिद्धम जैन के संयम के मार्ग की ओर अग्रसर होने के उपलक्ष्य में भक्ति संगीत का कार्यक्रम रखा गया।
प्रतिज्ञा के बाद मिला नया नाम

साधु के कपड़े पहने सिद्धम दीक्षा पंडाल में पहुंचे। यहां जैन धर्मालु उनके दर्शन को उत्सुक रहे। आचार्य भगवंत द्वारा प्रतिज्ञा दिलाई गई कि वे कठिन साधु जीवन जिएंगे, साधुचर्या का पालन करेंगे, हमेशा पैदल चलेंगे, रात्रि में पानी का निषेध रहेगा, हाथों से भोजन करेंगे, जीवन में कभी स्नान नहीं करेंगे, किसी वाहन का उपयोग नहीं करेंगे, बिजली का उपयोग नहीं करेंगे आदि। इसके बाद आचार्य द्वारा नामकरण किया गया।
पूरा क्षेत्र में आकर्षक सज्जा

नवकार परिवार के प्रवीण गुरु, महेंद्र गुरु और सोमिल कोठारी ने बताया कि आयोजन स्थल के पूरे क्षेत्र में आकर्षक सज्जा की गई। मार्ग पर तोरण द्वार लगाकर ध्वजा लगाई गई थी। पूरे क्षेत्र को रंगोली बनाकर सजाया गया। इस आयोजन के बाद सभी श्रद्धालुजनों का स्वामी वात्सल्य भी हुआ। दीक्षा समारोह करीब साढ़े 6 घंटे चला।
आज पहला विहार

आचार्य व संतों का संत मंडल सोमवार को पिपली बाजार के प्राचीन सफेद मंदिर पर आयोजित उत्सव में भाग लेने के लिए मंगल प्रवेश करेंगे। संत मंडल के साथ चंद्रसागर महाराज भी मुनि के रूप में प्रथम विहार कर इस आयोजन में शामिल होंगे। यहां सुबह 9 बजे शास्त्रीय वाद्य यंत्र के माध्यम से भगवान का शक्रस्तव अभिषेक किया जाएगा।

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