इस गड़बड़ी के संबंध में बात करने के लिए पत्रिका एक्सपोज रिपोर्टर ने अस्पताल प्रभारी अनुराधा तिवारी से संपर्क किया, पर बात नहीं हो सकी। उनके दफ्तर में भी कई बार कॉल किया, किंतु जवाब नहीं मिला। विभागीय अन्य अफसरों से संपर्क किया तो उन्होंने इस मुद्दे पर बात नहीं की।
शिकायतों के बाद वित्त विभाग ने जांच की तो यह तथ्य सामने आया कि मात्र ३५ हजार रुपए की ऑपरेशन किट की खरीदी ९ लाख ९८ हजार रुपए में की गई। बजट को लेकर भी गड़बड़ी सामने आई। सरकार ने प्रारंभिक तौर पर 30 करोड़ रुपए मंजूर किए थे, लेकिन खर्च हो गए 48 करोड़। 18 करोड़ रुपए की ज्यादा खर्च के मामले में डेढ़ साल से विभागीय जांच चल रही है।
ऑपरेशन किट वास्तविक दाम भुगतान किया
हॉर्निया, अपेंडिक्स ३५००० ९९८०००
लेप्रोटॉमी किट ४८००० ५०२९३१
सीटर सेट ५8००० ६४२०००
पाइल्स किट ५१००० ५२६०००
डीएनसी सेट १८००० ५९९०००
थायराइड सेट ५५००० ४४३०००
यूरेट्रा किट 5०००० २९१४९२
ट्रेकियोटॉमी ४1००० ४६४०००
वेस्कुलर किट १६८००० ५४०००0
ड्रेसिंग सेट ६९००० २३२६००
संचालक व उपसंचालक द्वारा चिकित्सालयों में गैर जरूरी व महंगे उपकरणों की खरीदी करने के लिए ४ जून २०१५ को डिमांड लेटर जारी किया गया।
संचालक को उपकरण खरीदने के लिए वित्तीय अधिकार नहीं था, इसके बावजूद महंगे उपकरण खरीदे गए।
आयुक्त कराबी निगम ने पत्र लिखकर संचालक को अवगत कराया था कि नियमों के अनुसार कर्मचारी राज्य बीमा निगम ही उपकरण खरीदेगा और भुगतान भी वहीं से होगा। मप्र शासन वित्त विभाग द्वारा संचालनालय में पदस्थ लेखा अधिकारी के बिना वित्तीय अनुमोदन के ये खरीदी की गई।खरीदे गए उपकरण अनुपयोगी हैं व बीते छह-सात महीनों में उनका उपयोग भी नहीं किया गया है।