script300 सौ साल पुराना संयोगितागंज स्कूल आजादी का गवाह | 300 hundred years old Sanyogitaganj school witness to independence | Patrika News
इंदौर

300 सौ साल पुराना संयोगितागंज स्कूल आजादी का गवाह

आंदोलनकारियों को दी जाती थी फांसीफिल्मी सितारों से लेकर क्रिकेटर, विंग कमांडर ने ली शिक्षामेड इन इंग्लैंड के कवेलू आज भी सुरक्षितनिगम करा रहा इस स्कूल भवन का जीर्णोद्धार

इंदौरAug 15, 2022 / 11:09 am

Anil Kumar Dharwa

Sanyogitaganj school

300 सौ साल पुराने संयोगितागंज स्कूल आजादी का गवाह

अनिल धारवा
इंदौर।

छावनी में एक सरकारी स्कूल ऐसा भी है, जहां फिल्मी हस्तियों से लेकर खिलाड़ी और देश सेवा करने वाले विंग कमांडर तक ने शिक्षा हासिल की है। 300 साल पुराने इस स्कूल की छत पर लगे कबेलू भी इंग्लैंड से बुलाए गए थे। वर्तमान में हैरिटेज बिल्डिंग में शामिल इस स्कूल का नगर निगम जीर्णोद्धार कर रहा है। इसमें आज भी वर्ष 1900 के स्कॉलर रजिस्टर मौजूद हैं।
यहां बात हो रही है शहर के पहले सरकारी स्कूल शासकीय बालक संयोगितागंज उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक-1 की। पीसी सेठी हॉस्पिटल के पास स्थित स्कूल का वर्तमान में जीर्णोद्धार चल रहा है। बताया जाता है कि इसका निर्माण 300 साल पहले हुआ था। इसमें देशभर की कई ख्यात हस्तियों ने शिक्षा पाई है। इंदौर की धरोहर हो चुकी इस स्कूल की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है, नगर निगम इसको संवार रहा है। बच्चों को पढ़ाई में रुकावट न आए, इसके चलते नगर निगम इसे अलग-अलग हिस्सों में संवार रहा है।
चीनी मिट्टी के कबेलू

इस भवन में अंग्रेजों द्वारा इंग्लैंड से बुलाए गए कबेलू लगे हैं, जो आज भी सुरक्षित हैं। कुछ कबेलू 1826 के भी हैं, जो चीनी मिट्टी के बने हैं और कुछ 1937 से लगे हुए हैं। स्कूल प्राचार्य राजकुमार चेलानी ने बताया कि निगम करीब दो करोड़ रुपए की लागत से इसे संवार रहा है। इस भवन का स्वरूप न बिगड़े, इसलिए इसे प्रशासन की देखरेख में बनाया जा रहा है। जहां पतरे खराब हो गए हैं, वहां पतरों को बदला जा रहा है। टूटी-फूटी फर्श की मरम्मत की जा रही है।
यहां से निकले कई सितारे

स्कूल में 38 साल की अपनी नौकरी पूरी करने वाले सेवानिवृत्त शिक्षिका मधू शर्मा स्कूल के इतिहास बताते हुए कहा कि यह स्कूल आज भी आजादी के आंदोलन का गवाह है। इस स्कूल की स्थापना साल 1826 में हुई थी। छावनी क्षेत्र में स्थित इस सरकारी स्कूल फिल्म हस्तियों से लेकर खिलाडी़ और देश की सेवा करने वाले विंग कमांडर तक ने शिक्षा हासिल की है। इनमें ख्यात हास्य फिल्म अभिनेता जॉनी वॉकर (बदरुद्दीन), क्रिकेटर कैप्टन मुश्ताक अली, चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन, विंग कमांडरद्वय गौतम पद्मनाभन व अशोक पद्मनाभन, टेबल टेनिस खिलाड़ी जाल गोदरेज, फिल्म राइटर सलीम खान आदि के नाम हैं।
आंदोलन दबाने को देते थे फांसी

यह स्कूल भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का भी गवाह है। अंग्रेज स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आंदोलन को दबाने के लिए बच्चों के सामने आंदोनलकारियों को फांसी दे दिया करते थे ताकि भय बना रहे। बताते हैं कि इस स्कूल परिसर में एक इमली का पेड़ हुआ करता था, जिस पर आजादी के दीवानों को फांसी दी जाती थी। इस स्कूल में की स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी पढ़े हैं।
1826 से अब तक का इतिहास

जानकारों की माने तो इंदौर में इस स्कूल की स्थापना वर्ष 1826 में हुई थी। इसके बाद महाराजा शिवाजीराव स्कूल 1850 में खोला गया था। संयोगितागंज स्कूल की शुरुआत एंग्लो वर्नाक्युलर मिडिल स्कूल के नाम से हुई थी। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में यह हाईस्कूल के रूप में कोलकाता विश्वविद्यालय से संबद्ध था। सन् 1905 तक इस विद्यालय के छात्र कोलकाता विवि की इंट्रेंस परीक्षा में सम्मिलित होते रहे। 1905 से 1930 तक इलाहाबाद से, 1930 से 1950 तक अजमेर बोर्ड व 1950-51 से मध्य भारत बोर्ड से संबंधित होकर वर्तमान में मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल से यह स्कूल संबद्ध है। सन 1951 में यह स्कूल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के रूप में परिवर्तित हुआ है।
Sanyogitaganj school
300 सौ साल पुराने संयोगितागंज स्कूल आजादी का गवाह

Home / Indore / 300 सौ साल पुराना संयोगितागंज स्कूल आजादी का गवाह

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो