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इंदौर

प्रदेश के 48 इंजीनियरिंग कॉलेज में एक भी एडमिशन नहीं

151 कॉलेज की 55 हजार सीट के लिए चल रही है काउंसलिंग, पहले चरण के बाद दो दर्जन से ज्यादा में प्रवेश का आंकड़ा ईकाई में, जीरो ईयर से बचने के लिए सीएलसी से ही है उम्मीद

इंदौरOct 30, 2020 / 01:16 am

Nitin chawada

प्रदेश के 48 इंजीनियरिंग कॉलेज में एक भी एडमिशन नहीं

प्रदेश के 48 इंजीनियरिंग कॉलेज में एक भी एडमिशन नहीं

अभिषेक वर्मा

इंदौर. कोरोना काल में प्रदेश के कई इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश की स्थिति दयनीय हो गई है। 48 कॉलेज ऐसे हैं जिनकी किसी भी ब्रांच में एक भी एडमिशन नहीं हुआ है। अभी यहां जीरो ईयर होने के हालात बन गए हैं। पहले चरण की काउंसलिंग में ज्यादातर कॉलेज बमुश्किल दहाई का आंकड़ा छू पाए हैं। दो दर्जन से ज्यादा कॉलेजों में इक्का-दुक्का सीटें भराई हैं।
151 इंजीनियरिंग कॉलेजों की 55,600 सीटों के लिए प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। पहले चरण की काउंसलिंग में 21 हजार विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। इनमें से 16,933 को सीट आवंटित हुई मगर 10,153 विद्यार्थियों ने कॉलेजों में दाखिला लिया है। डायरेक्टोरेट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन से मिली अधिकृत जानकारी के अनुसार 151 में से 48 कॉलेज ऐसे हैं, जिनमें एक भी सीट नहीं भर पाई है। इनमें भोपाल के 21 कॉलेज और इंदौर के 7 कॉलेज हैं। आधे से ज्यादा कॉलेज ऐसे हैं, जहां एक-दो ब्रांच को छोड़कर बाकी ब्रांच में जीरो प्रवेश रहे हैं। अब कॉलेज दूसरे चरण के साथ कॉलेज लेवल काउंसलिंग से विद्यार्थियों के दाखिले की उम्मीद कर रहे हैं। मालूम हो, पिछले सत्र (2019-20) में प्रदेश के आठ कॉलेजों में जीरो ईयर हुआ था जबकि 60 कॉलेजों में प्रवेश की संख्या 30 से कम रही थी। डीटीई के डिप्टी डायरेक्टर एके राव का कहना है कि पहले चरण की काउंसलिंग के बाद खाली रही सीटों की संख्या वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई हैं।
दूसरे चरण में भी सिर्फ 13 हजार रजिस्ट्रेशन

बीई काउंसलिंग के दूसरे चरण की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया से भी कॉलेजों को राहत नहीं मिल सकेगी। जेईई के साथ बारहवीं के आधार पर मौका देने के बावजूद सिर्फ 12,946 ने ही रजिस्ट्रेशन कराए हैं जबकि 45,447 सीटें खाली हैं। दूसरे चरण के सभी छात्र अगर प्रवेश भी लें तो भी 32,501 सीट सीएलसी के लिए रहेंगी।
टीएफडब्ल्यू में भी रुचि नहीं

चार दर्जन कॉलेजों के साथ कई कॉलेज ऐसे भी रहे जिनकी टीएफडब्ल्यू (ट्यूशन फीस वेवर स्कीम) की सीट खाली रह गईं। बड़ी संख्या में सीटें खाली रहने की वजह कोरोना संक्रमण भी बताया जा रहा है। प्रदेश में हर साल महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार सहित अन्य राज्यों के छात्र-छात्राएं पढऩे आते हैं। इनकी तुलना में प्रदेश से बाहर जाने वालों की संख्या कम है। कोरोना से बाहरी छात्रों की संख्या में कमी हुई है।
कॉलेजों ने मांगा राहत पैकेज

निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों ने इस सत्र के लिए सरकार से दो-दो करोड़ रुपए के राहत पैकेज की मांग की है। एसोसिएशन ऑफ टेक्निकल प्राइवेट इंस्टिट्यूशन का कहना है कि पहले ही कॉलेजों की आर्थिक स्थिति खराब थी। कोरोना के कारण इस सत्र में पहले से अधिक सीटें खाली रहने के आसार बन गए है।

एक्सपर्ट व्यू – कॉलेजों के नाम पर ज्यादातर के पास सिर्फ बिल्डिंग, अच्छी फैकल्टी और रिसर्च से ही बदलेगी स्थिति

इंजीनियरिंग कॉलेजों की सीटें खाली रहने सबसे बड़ी वजह डिमांड और सप्लाय का असंतुलन है। एक समय था जब इंजीनियरिंग करने के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा थी। अब बारहवीं पास करने वाले सभी के पास मौका है। सीटें इतनी ज्यादा हो गई कि अच्छे कॉलेजों की कई ब्रांच भी खाली रह जाती है। इसके अलावा कई निजी कॉलेजों में कॉलेज के नाम पर सिर्फ बिल्डिंग ही है। न तो वहां पढ़ाने वाले अच्छे फैकल्टी है और न ही किसी तरह की रिसर्च हो रही है। इंजीनियरिंग में शुरू से ही कम्प्यूटर साइंस और आईटी जैसी ब्रांच की मांग रही। फायदे का सौदा देखते हुए कॉलेज इन्हीं की सीट बढ़वाने में लगे रहे। जबकि कोर ब्रांचेस पूरी तरह से नजरअंदाज कर दी गई। गुणवत्ता नहीं मिल पाने से कई कॉलेजों में प्लेसमेंट के लिए कोई भी बड़ी कंपनी नहीं आती। ये स्थिति बदलने के लिए कॉलेजों में सीटों की संख्या सीमित करना जरूरी है। फैकल्टी की नियुक्ति एआईसीटीई की गाइडलाइन के अनुसार ही की जाना चहिए।
प्रो.राकेश सक्सेना, डायरेक्टर, श्री गोविंदराम सेकसरिया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी

प्रदेश के 48 इंजीनियरिंग कॉलेज में एक भी एडमिशन नहीं

इन कॉलेजों पर मंडराया जीरो ईयर का खतरा

ऑल सेंट्स कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी भोपाल,

बगुलामुखी कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी भोपाल,

भोपाल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट भोपाल,
भोपाल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, भोपाल

भोपाल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, भोपाल

कॉरपोरेट इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी भोपाल,

इस्कॉम फॉर्चून इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी भोपाल,

कैलाश नारायण पाटीदार कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी भोपाल,
कोपल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी भोपाल,

लक्ष्मीपति इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी भोपाल,

राजीव गांधी प्रोद्यौगिकी महाविद्यालय भोपाल,

सेम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी भोपाल,

शा-शीब कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी भोपाल,
श्रीराम कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी भोपाल,

सुरभि कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी भोपाल,

स्वामी विवेकानंद कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी भोपाल,

विद्यापीठ इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी भोपाल,

मिलेनियम इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस भोपाल,
मित्तल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी भोपाल,

एनआरआई इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी भोपाल

पटेल कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी भोपाल,

लक्ष्मीनारायरण कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी जबलपुर,

लक्ष्मीबाई साहूजी इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग जबलपुर,
ओरिएंटल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी जबलपुर,

राधास्वामी इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जबलपुर,

सरस्वती इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी जबलपुर,

एसजीबीएम इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस जबलपुर,

बीएम कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी इंदौर,
एस्ट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी इंदौर,

विद्यासागर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी इंदौर,

विंध्या इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस इंदौर,

शिवकुमार सिंह इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस इंदौर,

संघवी इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड साइंस इंदौर,
मथुरादेवी इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट इंदौर,

बीआइटीएस ग्वालियर,

ग्वालियर इंजीनियरिंग कॉलेज,

ग्वालियर इंस्टिट्यूट ऑफ इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी,

नागरजी इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट ग्वालियर,

अल्पाइन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी उज्जैन,
सिनर्जी इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी देवास,

श्री परशुराम इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च खंडवा,

सरदार पटेल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी खरगोन,

ग्लोबल इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड साइंस बड़वानी,

गिरधर शिक्षा एवं समाज कल्याण समिति रायसेन,
ओजस्विनी इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी दमोह,

रीवा इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी,

साक्षी इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट गुना,

श्री रावतपुरा सरकार इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस दतिया

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