नगर निगम द्वारा की जा रही इस व्यवस्था का सबसे बड़ा खमियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि मई 2018 में धराशायी हुए सरवटे बस स्टैंड की नई इमारत बनाने के लिए टेंडर जारी हो चुके हैं। 9.50 करोड़ की लागत से बन रहे इस बस स्टैंड को तैयार होने में तकरीबन 15 महीने का समय लगेगा। वर्तमान में टीन शेड में संचालित हो रहे इस बस स्टैंड से करीब 700 बसों को शिफ्ट किया जाएगा।
ऐसे परेशान होंगे यात्री नगर निगम ने सरवटे से चलने वाली बसों को चार हिस्सों में बांट दिया है, ताकि शहर में यातायात प्रभावित न हो। लेकिन अफसरों ने यात्रियों की सुविधा का ध्यान नहीं रखा है। नई व्यवस्था के अनुसार अगर कोई यात्री खण्डवा से इंदौर आता है और उसे उज्जैन जाना है तो नवलखा बस स्टैंड जाकर, आई-बस पकडक़र पलासिया जाना होगा। यहां अन्य पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग कर रीगल तिराहे पर उतरना होगा। यहां से वल्लभ नगर जाना पड़ेगा। इसमें समय भी काफी लग जाएगा और पैसा भी। इसी तरह अगर किसी यात्री को भोपाल से आकर राजस्थान की ओर जाना है, तो उसे तीन इमली चौराहे से ऑटो रिक्शा व अन्य साधन करना होगा, जिसका किराया काफी अधिक होता है।
यात्री सुविधा जुटाने में लगा निगम गंगवाल बस स्टैंड पहले से यात्री लिहाज से तैयार है। वल्लभ नगर में जगह नहीं होने के कारण यहां किसी तरह व्यवस्था नहीं की जा रही है। नवलखा और तीन इमली बस स्टैंड पर निगम अफसर यात्री सुविधाओं के लिहाज से मूलभूत सेवाएं जुटा रहे हैं। नवलखा चौराहे पास इंदिरा काम्प्लेक्स स्थित खाली जमीन पर अस्थाई बस स्टैंड का काम अंतिम चरणों में है। यहां पर 4500 वर्ग फीट का शेड, बैठने के लिए कुर्सियां, वॉटर कूलर, सडक़ आदि काम किया जा रहा है। इसी तरह तीन इमली चौराहे के पास शेड निर्माण किया जा रहा है। यहां पहले से सभी सुविधाएं मौजूद हैं।