डीसीपी निमिष अग्रवाल के मुताबिक, इंजीनियर अमित यादव ने सुसाइड नोट में ट्रू बैलेंस, मोबीपॉकैट, मनीव्यू, स्मार्ट क्वाइन, ऑनलाइन ऐप से लोन लेने की बात लिखी थी। सभी ऐप के संबंध में गूगल से जानकारी मांगी है। गूगल के साथ ही ऐप के ईमेल आइडी पर भी मेल किया है। सभी एप्लीकेशन का रजिस्ट्रेशन कराने वाले की जानकारी व गाइडलाइन पूछी गई है। आरबीआइ से पुलिस ने जानकारी ली थी, लेकिन पता चला कि वहां पंजीबद्ध नहीं है।
जिम्मेदारी तो तय होगी
पुलिस कमिश्नर हरिनारायणाचारी मिश्र के मुताबिक, जान देने के लिए मजबूर करने वाले लोन ऐप की जिम्मेदारी इस बार तय होगी। सभी की जानकारी गूगल से मांगी है। आरबीआइ व सेबी से अधिकृत रूप से पूछा है कि इन ऐप का पंजीकरण हुआ है या नहीं? पंजीकरण नहीं हुआ तो लोन बांटने पर केस दर्ज किया जाएगा। इधर, एसीपी धैर्यशील येवले ने कई लोगों के बयान लिए। अमित के दोस्तों से भी बात की। करीबी का कहना था कि उस पर ऐप का ज्यादा कर्ज नहीं था। एक कर्ज जमा करने के लिए दूसरे से लेने की बात सामने आई है।