और एयरपोर्ट पर पिछले दो दिनों में लगातार मेडिकल इमरजेंसी के तहत दो मरीजों को विमान से उतरते ही सीधे एम्बुलेंस से अस्पताल के लिए रवाना किया गया। वैसे तो एयरपोर्ट पर छोटी-मोटी बीमारियों को लेकर प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा एयरपोर्ट प्रबंधन द्वारा निजी अस्पताल से गठजोड़ कर उपलब्ध करवाई जा रही है। लेकिन कई बार गंभीर बीमारियों से पीडि़त यात्रियों को एयरपोर्ट प्रबंधन द्वारा सीधे एम्बुलेंस बुलाकर अस्पताल भेजना पड़ता है। गंभीर बीमारियों में खासकर ह्रदयरोगियों के लिए हार्ट अटैक या सीधे के दर्द के दौरान शुरुआती आधे घंटे में उचित उपचार मिलना बेहद जरूरी होता है। इस स्थिति में एयरपोर्ट प्रबंधन द्वारा निजी अस्पताल के भरोसे मरीज को छोडऩा यात्री की जान के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसे देखते हुए एयरपोर्ट प्रबंधन ने चिकित्सा केंद्र में बिस्तरों की संख्या बढ़ाकर एक से दो करने कवायद शुरू कर दी गई है।
ह्रदय रोगियों को मिलेगा इलाज
इसके साथ ही एयरपोर्ट पर ऑटोमेटेड एक्र्टनल डिफेबिलेटर (एईडी) मशीन भी मौजूद रहेगी। यह एक पोर्टेबल मशीन होती है जो दिल की धमनियों में अचानक ब्लाकेज या रूकावट होने पर तकनीक की सहायता से मरीज को राहत पहुंचाती है और विकट परिस्थिति से उबारने का काम करती है। उक्त मशीन की कीमत दो लाख रुपए से ज्यादा होती है। उक्त मशीन के एयरपोर्ट पर मौजूद रहने से मौजूदा मेडिकल टीम को इमरजेंसी के दौरान मरीज का उपचार किया जा सकेगा।
—-
एयरपोर्ट पर अब २४ घंटे उड़ानों का आना-जाना लगा रहता है। कई बार यात्रियों को विमान में किसी तरह की बीमारी या अचानक शारीरिक पीड़ा होने पर उन्हें मेडिकल सुविधा एयरपोर्ट पर ही उपलब्ध करवाना हमारी जिम्मेदारी है। इसी क्रम में हम अपने मेडिकल सेंटर में इलाज के उपकरण सहित अन्य सुविधाएं जुटा रहे हैं, ताकि मरीजों को समय पर इलाज मिल सके।
अर्यमा सान्याल, एयरपोर्ट डायरेक्टर