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इंदौर

बाहुबली में झरने का सीन शूट करने के लिए 300 बार बनाया सेट

पंद्रह महीने की लंबी मेहनत और 300 से ज्यादा सेट्स बनाने के बाद हमने झरने वाला गाना और दृश्य फिल्माए थे।

इंदौरDec 09, 2017 / 04:40 pm

अर्जुन रिछारिया

pet drapper

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इंदौर. बाहुबली के झरने के लिए रोज हम नया सेट बनाते और फिर बिगाड़ते थे। पंद्रह महीने की लंबी मेहनत और 300 से ज्यादा सेट्स बनाने के बाद हमने झरने वाला गाना और दृश्य फिल्माए थे। यह कहना है तीन बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता स्टूडियो मुकुटा वीएफएक्स के को -फाउंडर पीट ड्रेपर का।
बाहुबली में एनिमेशन और विजुअल इफेक्टस देने वाले पीट ड्रेपर आए इंदौर
पीट इंटरनेशनल एनिमेशन डे के मौके पर स्टूडेंट्स के बीच बाहुबली-2 द कन्क्लूजन की मेकिंग पर सेशन लेने इंदौर आए थे। उन्होंने कहा कि रोज मैं एक नई कल्पना करता, उसे साकार होते देखता, फिर अपने ही हाथों से सब खत्म कर देता। उसके बाद आई बाहुबली-2 में स्टेच्यु वाला विजुअल इफेक्ट क्रिएट करना सबसे चैलेंजिग जॉब था। हम बाहुबली-1 में माइलस्टोन क्रिएट कर चुके थे और अब हमें इसे और ऊपर ले जाना था। हमारी टीम पांच महीने लगातार काम करती रही। अपना पूरा बाहुबल लगाकर हमने यह स्टेच्यु बनाया। एनिमेशन और विजुअल इफेक्ट्स का काम रोज
नई सोच के साथ नींद से उठने जैसा है।
इस सेशन में पीट ने बाहुबली-2 में ‘कुंथल’ नामक शहर की रचना कैसे की यह बताया। विजुअल और एनिमेशन इफेक्ट्स समझाने के लिए वे अपने साथ मॉडल, ग्राफिक्स लेकर आए थे। इसमें महल की संरचना से लेकर हाथी और सांड के दृश्यों के विजुअल इफेक्ट्स की जानकारी दी। पीट ने कहा कि एनिमेशन में 15 सेकंड में बात कहना होती है। इसलिए आपको क्राउड से अलग हटकर काम करना होगा। एनिमेशन की दुनिया में सक्सेस तभी मिलती है जब आप अपने फैल्युअर को एंजॉय करे। एनिमेशन और विजुअल इफेक्ट्स में वही सफल हो सकता है जो बार-बार कोशिश करता हो। यह कार्यक्रम आसिफा इंडिया के इंदौर चैप्टर के तहत करवाया गया था।
जैमी द मैजिक टार्च ने रखी कॅरियर की नींव
पीट ने कहा कि आठ साल की उम्र में मैंने डिसाइड कर लिया था एनिमेशन की दुनिया ही मेरी जिंदगी है। उस समय टीवी पर ‘जैमी द मैजिक टार्च’ नामक एनिमेशन सिरीज आती थी। मैं खुद को जैमी समझता था, सोचता था कि मेरे पास मैजिक टार्च है। बस इसी सीरियल ने मेरे कॅरियर की नींव रखी। मैंने एनिमेशन और विजुअल इफेक्ट के लिए कोई पढ़ाई नहीं की और न ही कोई स्पेशल प्रोग्राम ज्वाइन किया। इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग के बाद भी एनिमेशन का मोह नहीं छूटा और इंजीनियरिंग का कॅरियर छोड़ जिंदगी का दांव एनिमेशन और विजुअल इफेक्ट्स पर लगा दिया।
नकली को असली दिखाना ही कला
पीट के साथ इस सेशन में ‘द सर्कस स्टूडियो’ के दिलीप वर्मा ने भी प्रजेंटेशन दिया। दिलीप ने फोटोरियलिस्टिक कैरेक्टर और 3डी एनिमेशन की कला समझाई। दिलीप हॉलीवुड की कई फिल्मों में मॉडलिंग डिपार्टमेंट संभाल चुके हैं। गोल्डन कम्पास से लेकर लाइफ ऑफ पाई तक की जर्नी को वे लाइफ का टर्निंग पाइंट मानते हैं। नकली को असली दिखाना ही कला है।
‘मख्खी’ के एनिमेशन ने दूर किया फोबिया
9 साल पहले कॅरियर की ग्रोथ और कुछ नया करने के लिए में पीट ने हॉलीवुड से बॉलीवुड-टॉलीवुड में कदम रखा। गजनी उनकी पहली फिल्म थी। गजनी के बाद साऊथ की ही मगधीरा में स्पेशल इफेक्ट्स दिए। इंडिया में ही अपना अत्याधुनिक स्टूडियो बनाया और स्पेशल इफेक्ट्स में पायोनियर बन गए। बाहुबली-१ और बाहुबली -2 को वे अपने कॅरियर की बेहतरीन फिल्म मानते हैं, लेकिन उनके दिल के करीब जो फिल्म है वह है मख्खी। पत्रिका से चर्चा में पीट बताते हैं कि फ्लाईज से बचपन से डरता हूं। यह एक फोबिया था जो फिल्म करते-करते गायब हो गया।

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