इंदौर। स्मार्ट रनवे पर उड़ान भरने को तैयार इंदौर ने शहरवासियों को स्मार्ट लिविंग लाइफ स्टाइल के सपने दिखा दिए हैं। विरासत को सहेजने के साथ स्मार्ट वल्र्ड क्लास सुविधाओं से लैस होने को आतुर इंदौर के लिए स्मार्ट मास्टर प्लान की दरकार है।
केंद्र सरकार ने इंदौर का चयन स्मार्ट सिटी में कर मास्टर प्लान के लिए नई बहस खड़ी कर दी है। इंदौर विकास योजना 2021 के मिड टर्म रिव्यू में स्मार्ट सिटी क्षेत्र, मेट्रो, शहर के चारों ओर अपशिष्ट के लिए डिस्पोजल, रेलवे स्टेशन और आईडीए के प्रस्तावित प्रोजेक्ट आदि को जोडऩा है। शहर का मास्टर प्लान 8 साल पहले 2021 की सोच के साथ बनाया था, लेकिन समय के साथ बदली सोच और विकास का इसमें समावेश नहीं होने से अब बदलाव की दरकार है। संदीप पारे व शिशिर मिश्र की रिपोर्ट…
उठाना होंगे ये पांच स्टेपः-
निवेश क्षेत्र का फिर हो निर्धारण
निगम सीमा विस्तार के बाद अब नया निवेश क्षेत्र बनाने की जरूरत है। इसमें आसपास के नए गांवों को शामिल किया जाए, जिससे इनमें बेतरतीब विकास और कॉलोनाइजेशन आकार न ले सके। नगर सीमा विस्तार कर 23 पंचायतों के 29 गांव शामिल होने के बाद अब शहरी क्षेत्र में 49 गांव शामिल हो गए हैं। वर्तमान मास्टर प्लान में 90 गांव निवेश क्षेत्र में लिए गए थे। इंदौर के विस्तार व विकास को देखते हुए इसमें और गांव शामिल करने की जरूरत है ताकि आसपास शहरीकरण सुनियोजित तरीके से हो सके।
जोनल प्लान पर हो काम-
वर्तमान शहर स्मार्ट के साथ मेट्रो सिटी भी बन रहा है। इस दृष्टि से मास्टर प्लान में आर्थिक स्रोत जुटाने के उपायों की कमी है। इसके लिए शहर विकास से जुड़े सभी विभागों की जिम्मेदारी तय होना चाहिए। जोनल प्लान, सिटी विकास योजना, मोबेलिटी प्लान, सेनिटेशन और कम्युनिकेशन प्लानिंग भी शामिल हो। यह प्लान 20 साल के लिए बनाया जाता है। इन प्लान में शहरीकरण के बदलते मापदंडों को आसानी से लें। समय-समय पर रिव्यू कर बदलाव को शामिल किया जा सकता है।
क्रियान्वयन के लिए बने एजेंसी-
मास्टर प्लान-2021 में पुनरीक्षण ही नहीं बड़े बदलाव की जरूरत है। मास्टर प्लान क्रियान्वयन के लिए कोई एक एजेंसी का निर्धारण हो, जिससे वर्तमान व्यवस्था के अंग नगर निगम, विकास एजेंसी इंदौर विकास प्राधिकरण और नगर व ग्राम निवेश विभाग के बीच समन्वय हो सके और प्रक्रिया में आ रही बाधाएं दूर हों। क्रियान्वयन एजेंसी नहीं होने से अभी कई प्रोजेक्ट तेजी से शुरू तो होते हैं, लेकिन बाद में काम की रफ्तार धीमी हो जाती है। इससे पैसे की बर्बादी भी होती है।
फंड के लिए शुल्क लगाएं-
शहर के बढ़ते दायरे और इन क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए पर्याप्त फंड जुटाने की जरूरत है। इसके लिए मास्टर प्लान में विभिन्न शुल्कों का उल्लेख है। आय बढ़ाने के लिए ग्रीन और इंप्रूवमेंट सेंस व्यवस्था लागू की जाए। अतिरिक्त वाणिज्यिक उपयोग पर प्रीमियम ऑन एफएआर का प्रावधान है। बेटरमेंट चार्ज भी लिया जा सकता है। नियम नहीं होने से क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए इन्हें स्पष्ट किया जाए। फंड मौजूद रहेगा तो चालू काम पर ब्रेक नहीं लगेंगे।
स्पेशल प्रोजेक्ट के लिए प्रावधान
आर्थिक राजधानी इंदौर में स्पेशल प्रोजेक्ट आते रहने की संभावना है। इनके स्पेसिफिक नॉम्र्स फॉर स्पेशल प्रोजेक्ट के अंतर्गत समावेश करना अत्यावश्यक है। इसके अलावा ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) नीतियों के आधार पर डेवलपमेंट प्लान को रिवाइज या तैयार करने की आवश्यकता है। एमपीटीसी एक्ट 1973 और उसके नियमों में संशोधन की आवश्यकता है। डेवलपमेंट प्लान रिवाइज कर समय और पैसे की बचत भी की जा सकती है।