12 स्वरूपों में होती है पूजा इस दिन नाग देवता के 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि नाग देवता की पूजा करने और रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं। भगवान प्रसन्न होकर मनचाहा वरदान देते हैं।
पूजा में रखें इन बातों का ध्यान इस दिन अपने दरवाजे के दोनों ओर गोबर से सर्पों की आकृति बनानी चाहिए और धूप, पुष्प आदि से इसकी पूजा करनी चाहिए। इसके बाद इन्द्राणी देवी की पूजा करनी चाहिए। इंद्राणी की पूजा विशेष फलदायी होती है। दही, दूध, अक्षत, जलम पुष्प, नेवैद्य आदि से उनकी आराधना करनी चाहिए। इसके बाद भक्तिभाव से ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद स्वयं भोजन करना चाहिए। इस दिन पहले मीठा भोजन फिर अपनी रुचि अनुसार भोजन करना चाहिए। इस दिन द्रव्य दान करने वाले पुरुष पर कुबेर जी की दयादृष्टि बनती है।
किसी सदस्य की मृत्यु सांप काटने से हुई है तो ये करे उपाय मान्यता है कि अगर किसी जातक के घर में किसी सदस्य की मृत्यु सांप के काटने से हुई हो तो उसे बारह महीने तक पंचमी का व्रत करना चाहिए। इस व्रत के फल से जातक के कुल में कभी भी सांप का भय नहीं होगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त नाग पंचमी की तिथि 15 अगस्त की सुबह 03 बजकर 27 मिनट पर शुरू होकर 16 अगस्त को दिन में 01 बजकर 51 मिनट पर खत्म हो रही है।
ऐसे दूर होगा कालसर्प दोष 15 अगस्त बुधवार को नाग पंचमी पर चंद्रमा कन्या राशि और अपने हस्त नक्षत्र में हैं। जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष है, उनके लिए इस दिन शिव पूजन करना जरूरी है। वहीं नाग पूजन से कालसर्प दोष से होने वाली हानि से बचा जा सकता है। नाग पंचमी पर कालसर्प की पूजा करने से दोष से मुक्ति मिलेगी साथ ही धन लाभ भी होगा।