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इंदौर

कैलाश-मेंदोला का ‘चहेता’पार्टी के चाल-चरित्र पर पड़ा भारी, इंदौर के वार्ड 56 से घोषित किया पार्षद प्रत्याशी

– भाजपा ने कुख्यात गैंगस्टर युवराज उस्ताद की पत्नी को दिया टिकट- राजनीति से नहीं कोई सीधा ताल्लुक।- कार्यकर्ताओं में हो रहा टिकट का अंदरूनी विरोध।

इंदौरJun 18, 2022 / 09:25 am

दीपेश तिवारी

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इंदौर। भाजपा ने नगर निगम चुनाव में आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को मौका देने से भी कोई गुरेज नहीं किया। इस बार गैंगस्टर युवराज उस्ताद की पत्नी स्वाति काशिद को चुनावी मैदान में उतारा गया है।

भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और विधायक रमेश मेंदोला से नजदीकी के चलते भाजपा ने यह टिकट घोषित किया है। पार्टी ने पार्षद प्रत्याशियों की शुक्रवार को सूची जारी की। इसमें स्वाति काशिद को वार्ड 56 से उम्मीदवार बनाया है। विधानसभा क्षेत्र तीन में आने वार्ड में पहले नंदाबाई गावड़े उम्मीदवार थीं। इस बार नंदाबाई के बेटे गजानंद गावड़े का दावा था, लेकिन ऐन मौके पर युवराज की पत्नी का नाम बढ़ा दिया गया।

इसके लिए कैलाश विजयवर्गीय और विधायक मेंदोला ने दबाव डाला। इस पर पार्टी ने नाम मंजूर भी कर लिया। विधानसभा तीन में कैलाश के बेटे आकाश विधायक हैं। उन्होंने भी समर्थन किया। राजनीति से सीधा कोई संपर्क नहीं होने के बाद भी स्वाति को टिकट दिया गया।

ऐसी हैं करतूतें: वसूली की शिकायतों पर हो चुकी है रासुका की कार्रवाई
युवराज उस्ताद के पिता विष्णु उस्ताद कांग्रेस से जुड़े होने के साथ ही इंटक के अध्यक्ष भी थे। वर्ष 2002 में उस्ताद की पाटनीपुरा चौराहे के पास हत्या हुई। आरोपी बने महेंद्र उपाध्याय और जीतू ठाकुर की हत्या में युवराज उस्ताद आरोपी रहा है। जीतू ठाकुर हत्याकांड में युवराज उस्ताद को बरी करने के खिलाफ शासन ने गुरुवार को ही हाई कोर्ट में अपील की।

शुक्रवार को उसकी पत्नी को सत्तारूढ़ भाजपा ने टिकट दे दिया। पुलिस ने युवराज उस्ताद की गैंगस्टर फाइल भी खोल रखी है। धमकाकर वसूली करने जैसे आरोपों के कारण फरवरी 2020 में रासुका लग चुकी है। एक बार नगर निगम मकान तोडऩे की कार्रवाई भी कर चुका है। युवराज की पत्नी को टिकट मिलने से खुफिया तंत्र भी सक्रिय हो गया है।

इधर, दमोह में अध्यक्ष सामने नहीं आए तो भाजपाइयों ने यूं चिपकाए इस्तीफे
वहीं दूसरी ओर चुनाव में पूछपरख नहीं होने, टिकट नहीं मिलने से नाराज भाजपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी दमोह में इस्तीफे दे रहे हैं। शुक्रवार को नौ पूर्व पार्षदों और एक जिला महामंत्री ने पार्टी से नाता तोड़ लिया। इस्तीफा लेने जिलाध्यक्ष प्रीतम सिंह कार्यालय नहीं आए। प्रतिनिधि के रूप में भी कोई नहीं पहुंचा तो सभी ने अपने इस्तीफे कार्यालय की दीवार पर ही चस्पा कर दिए।

यह है नाराजगी: इस्तीफा देने वालों ने आरोप लगाया कि हम लोगों की कई माह से सुनवाई नहीं हो रही। पूछपरख भी नहीं की जाती थी।
कई बार इसकी शिकायतें भी कीं।

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