यूपी, उत्तराखंड, पंजाब सहित पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं और इंदौर के नेता बूथ विस्तार अभियान में मोहल्लों
की बैठकें ले रहे हैं। इन नेताओं में प्रमुख नाम राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का है, जो कि पश्चिम बंगाल के चुनाव में प्रभारी के रूप में महत्पूर्ण जिम्मेदारी पर थे। उससे पहले वे हरियाणा सहित अन्य राज्यों में भी ये भूमिका निभा चुके हैं। पिछले दिनों वे उत्तराखंड जरूर गए थे, लेकिन एक-दो दिन के लिए। उसके बाद से वे इंदौर में ही नजर आ रहे हैं। हाल ही में उन्हें कोरोना हो गया, जिसके चलते वे क्वारन्टीन हैं।
पिछले उत्तराखंड के चुनाव में विधायक रमेश मेंदोला को भी कुछ विधानसभाओं की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वे भी अपने लवाजमे को लेकर तैनात थे, लेकिन इस बार उन्हें भी कोई काम नहीं दिया गया। उनके अलावा वरिष्ठ नेता सुमित्रा महाजन व कृष्णमुरारी मोघे को भी चुनावी कमान से दूर रखा गया है। महाजन तो राष्ट्रीय पदाधिकारी रहकर कुछ राज्यों की प्रभारी भी रही हैं तो मोघे भी उत्तराखंड के पूर्व में प्रभारी रह चुके हैं। महाजन का तो स्वास्थ्य ठीक नहीं है, जिसकी वजह से वे ज्यादा आती-जाती नहीं हैं।
मोघे तो अभी भी सक्रिय हैं, लेकिन पार्टी ने जिम्मेदारी नहीं सौंपी। उसके अलावा युवाओं में पूर्व विधायक जीतू जिराती को भी पार्र्टी काम पर लगा देती है, लेकिन वे भी बूथ विस्तारक अभियान में ग्वालियर का चप्पा-चप्पा छान रहे हैं। पिछले १५ दिनों से वे ग्वालियर संभाग में ही घूम रहे हैं और ये सिलसिला १ फरवरी तक जारी रहेगा।
प्रदेश से सिर्फ हितानंद यूपी और मध्यप्रदेश की सीमा लगी हुई है जिसके चलते प्रदेश के कई नेता यूपी में भी अपना प्रभाव रखते हैं।
इसके बावजूद अब तक मध्यप्रदेश के किसी भी नेता को काम पर नहीं लगाया गया है। वर्तमान में सिर्फ प्रदेश
के सह संगठन मंत्री हितानंद शर्मा ही लगे हुए हैं, जिन्हें अवध प्रांत की जिम्मेदारी सौंपी गई है। संभावनाएं ये
भी है कि ३० जनवरी तक मध्यप्रदेश में बूथ विस्तारक अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें सभी नेता काम पर
जुटे हुए हैं। उसके बाद से सभी की ड्यूटी लगाई जा सकती है।