मोठ-ग्वार का तय हो समर्थन मूल्य
दिन में धूप और रात में सर्दी के कारण हो रहा वायरल इन्फेक्शन
इंदौर। मोठ ग्वारगम का समर्थन मूल्य जल्द तय होना चाहिए। राजस्थान राज्य में मोठ का उत्पादन बहुत अधिक होता है, किंतु सरकार की ओर से अभी तक मोठ का समर्थन मूल्य निर्धारित नहीं है। समर्थन मूल्य निर्धारित होने से मोठ एवं ग्वार के उत्पादनकर्ता कृषक भी लाभान्वित हों और मोठ एवं ग्वार के उत्पादन में अधिक रूचि लेंगे। देश के किसानों को लागत मूल्य से दुगुना मिलने पर ही उनकी उन्नति, प्रगति आसानी से हो सकेगी, किसान सम्पन्न होंगे, तो वह घर से बाहर निकल कर अपनी गृहउपयोगी वस्तुएं खरीद सकेंगे, जिससे देश के अन्य उद्योग-धंधो में भी उत्पादन बनने की उम्मीद है। यह कहना है आल इंडिया दाल मिल एसो. के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल का। अग्रवाल ने बताया कि इसी प्रकार सभी प्रकार के दलहनों की खरीदी समर्थन मूल्य पर और बोनस के साथ होना चाहिये। राज्य सरकारों की अधिकतर पॉलिसी में सभी राज्यों में दलहनों की खरीदी किसानों से उनके खेत की बुआई क्षेत्रफल रकबा (बीघा, एकड़, हेक्टेयर) के अनुसार की जाना चाहिये। वर्तमान में उपज से बहुत कम खरीदी हो रही है। सभी तरह के दलहनों को पूर्ण रूप से वायदा व्यापार से बाहर रखा जाना चाहिये, जिससे बाजार से सट्टात्मक व्यापार पर रोक लगेगी। नेफेड द्वारा खरीदी गई कृषि उपज को लगभग दो साल तक भण्डारण करके रखा जा रहा है, जिससे कृषि उपज की गुणवत्ता खराब होती है, उपज का रंग (डिस्कलर) बदलता जाता है, दलहन डंकी होने लगता है और नमी के कारण कीटाणु पैदा होने लगते हैं।
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