बताया जा रहा है कि निगम की पीली जीप और अफसरों के साए में यहां व्यापार हो रहा था। बार-बार हटाने की नौटंकी करने के साथ गैंग काफी देर तक खड़ी रही और मछली बिकती रही। इतना ही नहीं, दुकानदारों को हटाकर माल जब्त करने के बजाय निगम मांस इकाई के अफसर ये कहते नजर आए कि जल्दी-जल्दी बेचकर निकलो, वरना लेने के देने पड़ जाएंगे। कार्रवाई को लेकर निगम के इस दोहरे चरित्र को लेकर जब जिम्मेदार अफसरों से सवाल किए गए, तो वे सही ढंग से जवाब नहीं दे पाए और अपना बचाव करते रहे।
मालूम हो कि कल महात्मा गांधी की पुण्यतिथि थी। इस दिन पशु वध पूरी तरह से प्रतिबंधित रहता है। इसको लेकर राज्य शासन के आदेश हैं। शहर में कहीं मांस-मटन, चिकन और मछली की दुकान न खुल जाए, इसको लेकर निगम की मांस इकाई सुबह से सक्रिय हो गई थी, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ लीपापोती हुई।
अफसरों ने दिया तर्क निगम मांस इकाई के प्रभारी डॉ. उत्तम यादव से जब पूछा गया कि भोई मोहल्ला में मछली व्यापारियों के ऑफिस बंद करवाने के लिए दबाव बनाया गया, लेकिन बुधवारिया हाट बाजार में खुलेआम मांस-मछली क्यों बिक रही थी? इस पर उन्होंने तर्क दिया कि हाट बाजार में दुकानें लगने की शिकायत मिलने पर कार्रवाई के लिए मांस इकाई की गैंग भेजी गई थी। अब एकदम से तो दुकान हटा नहीं सकते। दुकान हटाने में कम से कम आधा घंटा लगता है। रही बात गैंग के पहुंचने पर कार्रवाई करने के बजाय खड़े रहने की, तो इसकी जांच की जाएगी। उनसे सवाल किया गया कि जब मालूम है कि महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर पशु वध नहीं होता, तो फिर हाट बाजार में सुबह से दुकानें कैसेे लग गई? इस पर वे कुछ जवाब नहीं दे पाए और कहा कि हाट-बाजार से दुकानों को हटा दिया गया था।