परिवर्तन ही संसार का नियम
अन्नू कपूर ने सभी से एक्टिंग, धर्म और समाज सहित कई मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा, कुछ लोग कुर्सी के दम पर प्रकाशमय हो जाते हैं तो कुछ लोग जिस कुर्सी पर बैठते हैं उसे प्रकाशमय कर देते हैं। पसंदीदा लोगों की लिस्ट के नाम पूछने पर उन्होंने कहा, मुझे जो लोग अच्छे लगते हैं मैं उनसे प्रभावित हो जाता हंू और ये प्रभावित करने वाले लोग मेरी जिंदगी में फिक्स नहीं हैं।
अन्नू कपूर ने सभी से एक्टिंग, धर्म और समाज सहित कई मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा, कुछ लोग कुर्सी के दम पर प्रकाशमय हो जाते हैं तो कुछ लोग जिस कुर्सी पर बैठते हैं उसे प्रकाशमय कर देते हैं। पसंदीदा लोगों की लिस्ट के नाम पूछने पर उन्होंने कहा, मुझे जो लोग अच्छे लगते हैं मैं उनसे प्रभावित हो जाता हंू और ये प्रभावित करने वाले लोग मेरी जिंदगी में फिक्स नहीं हैं।
मेरे तो मन में ही मंदिर
अन्नू ने कहा, मैं कभी मंदिर भी नहीं जाता, क्योंकि मन ही मंदिर है और ना ही मैंने कभी अपनी फिल्म देखी। राजनीति में नहीं जाना
उन्होंने कहा, राजनीति से मेरा दूर-दूर तक रिश्ता नहीं है। ऑफर आए थे, मैंने मना कर दिया, विचारों में दम होना चाहिए यही मेरा मानना है।
आइएएस बनना चाहता था, लेकिन…
मेरे पिता की थिएटर कंपनी थी, इसलिए उस वक्त यानी 1974 में मैं केवल 16-17 साल का था और तब से ही एक्टिंग शुरू कर दी थी। वर्ना में आइएएस बनना चाहता था, लेकिन गरीब घर का होने के चलते उस वक्त यह मुमकिन न हो सका। जब मैंं ६ठी क्लास में था, तब मैंने पहली बार
फ्रीज देखा और जब २० का हुआ तब रेडियो देखा था, लेकिन आज सबकुछ बदल रहा है। उस वक्त मैंने एक गाना सुना था, जिसके बोल थे – मैंने कहा मिस, व्हाट इस दीज… लेकिन यही गाना आज बनाया जाता तो दीज की जगह कीस होता…। यही परिवर्तन है और परिवर्तन ही संसार का नियम है।
अन्नू ने कहा, मैं कभी मंदिर भी नहीं जाता, क्योंकि मन ही मंदिर है और ना ही मैंने कभी अपनी फिल्म देखी। राजनीति में नहीं जाना
उन्होंने कहा, राजनीति से मेरा दूर-दूर तक रिश्ता नहीं है। ऑफर आए थे, मैंने मना कर दिया, विचारों में दम होना चाहिए यही मेरा मानना है।
आइएएस बनना चाहता था, लेकिन…
मेरे पिता की थिएटर कंपनी थी, इसलिए उस वक्त यानी 1974 में मैं केवल 16-17 साल का था और तब से ही एक्टिंग शुरू कर दी थी। वर्ना में आइएएस बनना चाहता था, लेकिन गरीब घर का होने के चलते उस वक्त यह मुमकिन न हो सका। जब मैंं ६ठी क्लास में था, तब मैंने पहली बार
फ्रीज देखा और जब २० का हुआ तब रेडियो देखा था, लेकिन आज सबकुछ बदल रहा है। उस वक्त मैंने एक गाना सुना था, जिसके बोल थे – मैंने कहा मिस, व्हाट इस दीज… लेकिन यही गाना आज बनाया जाता तो दीज की जगह कीस होता…। यही परिवर्तन है और परिवर्तन ही संसार का नियम है।
किसी भी काम को छोटा या बड़ा
न समझें यंगस्टर्स बृजेंद्र काला
इंदौर. वेब सीरिज में एक्टिंग से दर्शकों को पसंद आने वाले एक्टर बृजेंद्र काला ने कहा, मैं हमेशा सीरियल किरदार करता हंू, लेकिन मेरे हाव-भाव के कारण वो किरदार हास्य लगने लगता है। उन्होंने कहा, जब वी मेट, पीके और पान सिंह तोमर जैसी फिल्मों ने मुझे आम से खास बना दिया। उन्होंने कहा, ओटीटी और सिनेमा दोनों के दर्शक अलग-अलग हैं। बृजेंद्र काला ने अपकमिंग प्रोजेक्ट पर बात करते हुए कहा, दो पत्ती, गुडलक मेरी आने वाली फिल्में हैं। ३० साल के कॅरियर में मैंने देखा है कि शादी के बाद ज्यादा सफलता मिली है, वो दिन-रात पूजा करती है, वही वजह है। मैं यही कहंूगा कि जो काम मिले उसे ईमानदारी से करें और किसी भी काम को छोटा या बड़ा न समझें।